जापानी कंपनी सोनी ने सोनी एरिक्सन पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। उसने इस संयुक्त उद्यम में स्वीडन की कंपनी एरिक्सन की 50 फीसदी इक्विटी खरीद ली है। इसके बाद टेलिकॉम उपकरण बनानेवाली इस कंपनी का नाम बदला जाएगा और री-ब्रांडिंड भी की जाएगी।
सोनी ने यह सौदा 1.45 अरब डॉलर (करीब 7080 करोड़ रुपए) में किया है और अब सोनी एरिक्शन पूरी तरह उसकी सब्सिडियरी बन गई है। एरिक्सन का कहना है कि टेलिकॉम उपकरण और मोबाइल फ़ोन के बीच तालमेल में कमी आ रही थी।
इस खरीद से सोनी को पेटेंट संबंधी कई अधिकार भी हासिल हो जाएंगे। सोनी को पांच तरह के पेटेंट अधिकार मिल जाएंगे जो फ़ोन बनाने के लिए ज़रूरी हैं। वैसे, उद्योग के तमाम प्रेक्षक इस क़रार की उम्मीद कर रहे थे क्योंकि सोनी कॉरपोरेशन अपने फ़ोन कारोबार को मोबाइल गेम और टैबलेट कंप्यूटर कारोबार के साथ जोड़ना चाह रहा था।
सोनी के चेयरमैन सर हावर्ड स्ट्रिंगर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी एक बयान में कहा, ”ये अधिग्रहण सोनी और एरिक्सन दोनों ही कंपनियों के लिए मायने रखता है और इसका फ़ायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा जो कहीं भी और कभी भी जानकारी हासिल करना चाहते हैं।”
इस महीने की शुरुआत में सोनी एरिक्सन को तीसरी तिमाही में भी नुक़सान हुआ था और कंपनी ने घोषणा की थी कि 2012 से वो स्मार्टफ़ोन के कारोबार पर ध्यान केंद्रित करेगी। कंपनी का कहना था कि इसकी कुल फ़ोन बिक्री का 80 फ़ीसदी हिस्सा ‘एक्सपेरिया’ स्मार्टफ़ोन का है। बता दें कि सोनी एरिक्सन के मोबाइल फ़ोन में गूगल के एन्ड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है।