सोलार इंडस्ट्रीज़: ऊंचे से और ऊंचे

कोई समझे या न समझे। हमारा तो यही अंदाज़ है। जयश्री टी में हमने जो लक्ष्य 30 दिन में हासिल करने की बात कही थी, उसे तीन ट्रेडिंग सत्रों में ही हासिल कर लिया। हमने इसके 99 रुपए पर पहुंचने की बात कही थी। कल यह 99.40 रुपए तक चला गया। हमारा काम है पूरी ईमानदारी से निवेश की सलाह देना और वह काम हम किए जा रहे हैं। हां, बुद्धि और विश्लेषण की सीमा है तो गलती भी होती रहेगी। इसलिए हम लगातार कहते हैं कि हमारे कहे में अपनी भी सोच जोड़कर ही कोई फैसला लें। शायद इससे चूक की प्रायिकता (probability) और कम हो जाए।

हमने इसी क्रम में सोलार इंडस्ट्रीज़ के बारे में पहली बार यहां करीब पांच महीने पहले 2 सितंबर 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 750 रुपए के आसपास चल रहा था। इसने महीने भर पहले ही 1 अगस्त 2011 को 775 रुपए पर तब तक के 52 हफ्ते का शिखर बनाया था। इसलिए हमने कहा था, “फिलहाल यह महंगा है। लेकिन इस पर नज़र रखी जानी चाहिए। अगर गिरकर यह 650 से 680 रुपए की रेंज में आता है तो इसे दूरगामी निवेश के लिए खरीद लिया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी मूलतः काफी धमाकेदार है।”

यह शेयर नवंबर-दिसंबर 2011 के दौरान नीचे में 667 से 681 रुपए तक चला गया था। जिन्होंने अर्थकाम की ईमानदार सलाह पर भरोसा करते हुए उस वक्त निवेश किया होगा, वे यकीनन आज खुश होंगे क्योंकि यह शेयर नए साल में 19 जनवरी 2012 को 849.80 रुपए पर 52 हफ्ते का नया शिखर बना चुका है। उसके बाद 30 जनवरी तक गिरकर 760 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन फिर बढ़ने लगा है। कल, 13 फरवरी 2012 को बीएसई (कोड – 532725) में पिछले बंद स्तर से 5.26 फीसदी बढ़कर 828.10 रुपए और एनएसई (कोड – SOLARINDS) में 4.26 फीसदी बढ़कर 834 रुपए पर बंद हुआ है।

1995 में बनी इस कंपनी का इतिहास-भूगोल हम पहले ही बता चुके हैं। इसकी मूलभूत मजबूती का बखान भी कर चुके हैं। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की सितबंर तिमाही में कंपनी की बिक्री 32.26 फीसदी बढ़कर 150.79 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 8.80 फीसदी घटकर 16.68 करोड़ रुपए पर आ गया था। पिछले ही हफ्ते घोषित नतीजों के अनुसार दिसंबर तिमाही में उसकी बिक्री 42.36 फीसदी बढ़कर 179.05 करोड़ रुपए हो गई। उसका सकल लाभ भी 33.47 फीसदी बढ़कर 25.52 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन डॉलर के सापेक्ष गिरे रुपए ने उसे 4.11 करोड़ रुपए का फटका लगा दिया। इसके चलते उसका शुद्ध लाभ मात्र 0.20 की मामूली बढ़त के साथ 11.23 करोड़ रुपए पर पहुंच सका।

वैसे, किसी भी धंधे में इस तरह की ऊंच-नीच चलती है। सोलार इंडस्ट्रीज में निवेश करते वक्त हमें ध्यान में रखना होगा कि यह देश में औद्योगिक विस्फोटकों की सबसे बड़ी निर्माता और निर्यातक है। घरेलू बाजार का करीब एक चौथाई हिस्सा उसके पास है। विस्फोटकों से उसकी बिक्री का लगभग 75 फीसदी हिस्सा आता है। बाकी 25 फीसदी हिस्सा वह विस्फोटकों के साथ इस्तेमाल होनेवाली वस्तुओं डिटोनेटर, उसके फ्यूज़ व कास्ट बूस्टर वगैरह की बिक्री और अमोनियम नाइट्रेट की ट्रेडिंग से हासिल करती है। उसके उत्पाद खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में इस्तेमाल होते हैं। दुनिया के 15 से ज्यादा देशों को वह निर्यात करती है। देश में फिलहाल आठ जगहों पर उसके 16 संयंत्र हैं। अफ्रीकी देश जाम्बिया और नाइजीरिया में भी उसकी फैक्ट्रियां हैं। तुर्की में वह नया संयंत्र लगा रही है जिसमें अगले साल मार्च तक उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है।

कंपनी के साथ एक कमजोरी या मजबूती यह है कि सरकारी कंपनी कोल इंडिया उसकी सबसे बड़ी ग्राहक है। उसकी बिक्री का करीब 25 फीसदी हिस्सा अकेले कोल इंडिया से आता है। खैर, जब देश का 82 फीसदी कोयला उत्पादन कोल इंडिया ही करती है तो बड़ी खपत उसी के पास जाएगी। हालांकि कंपनी जिस तरह से निर्यात बाजार और देश की अन्य खनन कंपनियों की तरफ हाथ बढ़ा रही है, उससे इस रिस्क को वह कम करने में यकीनन कामयाब होगी। इस समय उसके बड़े ग्राहकों में कोल इंडिया के अलावा एनटीपीसी, एनएचपीसी, ओएनजीसी, सेल, एसीसी व अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल हैं।

ब्रोकरेज फर्म एडेसवाइस के डाटाबैंक के मुताबिक सोलार इंडस्ट्रीज का नेटवर्थ पर रिटर्न 27.25 फीसदी और नियोजित पूंजी पर रिटर्न 32.42 फीसदी है। दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में उसने 10.90 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाया है। लेकिन कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.44 है। स्टैंड-एलोन आधार पर कंपनी का दिसंबर तक के बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 30.03 रुपए है। इस तरह उसका शेयर 27.72 रुपए के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। लेकिन कंसोलिडेट आधार पर उसका ईपीएस 53.11 रुपए है तो उसके शेयर का पी/ई अनुपात 15.68 ही निकलता है।

हमारा मानना है कि इस स्तर पर भी कंपनी में निवेश किया जा सकता है क्योंकि अगले चार सालों में यह आपकी रकम को दोगुना नहीं तो डेढ़ गुना जरूर सकती है। हां, इसमें निवेश करते दो बातें ध्यान में रखनी होगी। एक तो यह कि यह स्मॉल कैप कंपनी है। इसलिए इसमें ज़रा-सी आहट काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव की वजह बन जाती है। इसीलिए जानकार लोग कहते हैं कि समझदार निवेशक को कुल निवेश का अधिकतम 15 फीसदी हिस्सा ही स्मॉल कैप स्टॉक्स में लगाना चाहिए। दूसरी बात यह है कि कंपनी की 17.32 करोड़ रुपए की इक्विटी का 74.84 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है और 15 फीसदी शेयर घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास हैं। इस तरह इसका फ्लोटिंग स्टॉक कम है तो इसमें लिक्विडिटी बहुत ज्यादा नहीं है। हां, हम जैसे छोटे निवेशकों के काम भर की जरूर है।

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