देश में अगले साल अप्रैल से नवंबर तक छठी आर्थिक गणना कराई जाएगी। आखिरी बार आर्थिक गणना वर्ष 2005 में की गई थी। छठी आर्थिक गणना से सरकार को विभिन सामाजिक आर्थिक विकास योजनाओं को शुरू करने के प्रभावों का जायजा लेने में मदद मिलेगी।
छठी आर्थिक गणना के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदशों के आर्थिक व सांख्यिकी महानिदेशालय के सचिवों और निदेशकों के अखिल भारतीय सम्मेलन की शुरुआत मंगलवार को राजधानी दिल्ली में हुई। इसका उद्घाटन सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने किया।
श्री जेना ने अच्छी क्वालिटी के साथ प्रमुख आंकड़े इकट्ठा करने के लिए गणनाकारों और निरीक्षकों के गहन प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में प्रभावकारी प्रचार की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि लोगों में जागरुकता पैदा की जा सके। इस अवसर पर उन्होंने 2010-11 के लिए आईआईटी कानपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शलभ को युवा सांख्यिकीविद् का प्रोफेसर सीआर राव पुरस्कार भी प्रदान किया।
छठी आर्थिक गणना में देश की उद्यम इकाइयों से आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे। सूक्ष्म स्तर की योजना और नीतियों को लागू करने के लिए इकाई की प्रमुख औद्योगिक गतिविधि, कर्मचारियों की संख्या, स्वामित्व के बारे में विवरण, धन का प्रमुख स्रोत, धर्म व सामाजिक समूह के बारे में आंकड़े एकत्र किए जाएंगे।