ताकत नहीं बेस कैम्प तक लौटने की

जैसी कि उम्मीद थी, जोश से भरे स्टॉक अब थकते नजर आ रहे हैं। ट्रेडरों और निवेशकों की दिलचस्पी भी इनमें घट गई है। दूसरी तरफ अभी तक किनारे पड़े शेयरों, खासकर मिड कैप व स्मॉल कैप स्टॉक्स में अच्छी-खासी दिलचस्पी दिखने लगी है। यह दिलचस्पी भी सच्चे दीर्घकालिक निवेशकों की तरफ से आ रही है, न कि रिटेल निवेशकों की तरफ से। रिटेल निवेशक तो आखिरकार रिटेल ही हैं। वे तो बस रोना-धोना ही जानते हैं। उन्होंने 2008 के बाद से कभी अपना बहीखाता ही नहीं बनाया। जब कभी थोड़ा फायदा कमाते हैं तो उतना ही नुकसान उठा बैठते हैं। उनके लिए तो बाजार ट्रेडिंग ज़ोन ही बना हुआ है।

निफ्टी भी थकता दिख रहा है। ट्रेडर भी इसमें 5485 पर स्टॉप लॉस लगाकर गिरने की सोच के साथ शॉर्ट सौदे कर रहे हैं। यह आशंका मैं पहले भी जता चुका हूं कि निफ्टी 5200 तक गिर सकता है। दरअसल, हमारी स्ट्रीट कॉल्स टीम ने पहले ही सभी आवेगी स्टॉक्स की कवरेज घटा दी है। बाजार के लोगों की आम राय यही चल रही है कि हम आधे मकर बन गए हैं। हम 18,000 अंक के एवरेस्ट शिखर पर तो जा पहुंचे, लेकिन इतनी ताकत ही नहीं बची है कि 5 फीसदी नीचे उतर तक अपने बेस कैम्प तक जा सकें। तो, हम क्या हम समर्पण कर दें?

अगर बाजार में कोई करेक्शन आता है तो यह नई रैली के शुरू होने के पहले का आखिरी सार्थक करेक्शन होगा। इस बार इस रैली की गति सबसे तेज रहेगी। कौन-से स्टॉक इसमें शामिल होंगे और अंतिम परिणाम क्या हो सकता है, यह केवल शांत मन से अध्ययन व बाजार पर नजर रखने से ही पता लगेगा। हमारा तो दर्शन यही रहेगा कि कम ट्रेड करो, लेकिन जितना भी करो, पूरे भरोसे के साथ। हमेशा भावी नजरिए के साथ कोई स्टॉक खरीदें और यह मानकर चलें कि कमजोर हाथों में होने के कारण भाव इधर-उधर हो सकते हैं और 10-15 फीसदी करेक्शन भी आ सकता है। कभी-कभी ब्रोकरों और कभी-कभी अतिशय डर के कारण भी ऐसा हो जाता है।

केवल शेरदिल निवेशक ही बाजार से पैसे बनाते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि इनकी संख्या पूरे ट्रेडिंग समुदाय की कुल आबादी की एक फीसदी भी नहीं है। यही वजह है कि कमजोर ट्रेडर हल्के व सतही ऑपरेटरों और स्टॉक्स की तलाश में रहते हैं ताकि वे फटाफट नोट बना सकें। ध्यान रखें, सफर काफी लंबा है। निवेश के धंधे को उद्योग के तौर-तरीकों व विकास पथ की तरह से देखें और तब आप पाएंगे कि दुनिया आपके कदमों में बिछी चली आएगी।

प्यार लुटाने, प्यार पाने और खुशी के लम्हों को हाथ से न जाने दें क्योंकि यही जीवन का सार है। बाकी सब थोथा है, निस्सार है, निरर्थक है, बेकार है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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