कल मैंने लिखा कि आईएफसीआई को बेचकर मुनाफा कमा लें और आज सुबह देखा तो इसने ट्वेंटी-ट्वेंटी जैसी रफ्तार पकड़ रखी थी। असल में आईएफसीआई ऐसा भागनेवाला स्टॉक है जिसे ट्रेडर खट से पकड़ लेते हैं। कल इसके ओपन इंटरेस्ट में एक करोड़ शेयर बढ़ गए थे और मुझे अंदेशा था कि अगर बाजार नहीं गिरता तो यह 95 फीसदी की लिमिट में जा सकता था। इसीलिए मैंने मुनाफावसूली की सलाह दी थी। दरअसल, हम अपने बाजारो को कितना भी विकसित कह लें, वो अब भी बहुत ज्यादा अपरिपक्व हैं।
जैसे ही किसी शेयर में रिटेल निवेशकों की भागीदारी शुरू हो जाती है, वह 95 फीसदी बैंड या लिमिट में आ जाता है, जबकि रिटेल भागीदारी नहीं रहती तो वह शेयर कभी भी इस बैंड तक नहीं पहुंचता क्योंकि जो लोग बाजार पर अधिकार जमाए हुए हैं उनके पास डिलीवरी को मार्क करने की कुव्वत है, जबकि रिटेल निवेशक के पास ऐसी सामर्थ्य नहीं होती।
दूसरे, बाजार सूत्रों को सही मानें तो आज एक अजीब किस्म का सौदा हो गया। प्रमुख ब्रोकरेज हाउस के एक डीलर ने 840 रुपए के भाव पर आईसीआईसीआई बैंक के बजाय आरआईएल के 5 लाख शेयर बेचने का बटन दबाव दिया। इसके चलते आरआईएल के 62000 से ज्यादा शेयर बिक भी गए। नतीजतन ब्रोकरेज हाउस को एक झटके में 1.5 करोड़ रुपए का फटका लग गया। बाजार में इसको लेकर जितने मुंह, उतनी बातें हो रही हैं। संदेह किया जा रहा है कि यह जानबूझ कर किया गया या गलती से हो गया। वजह यह है कि जहां इस ‘चूक’ से ब्रोकरेज हाउस को 1.5 करोड़ रुपए का ही नुकसान हुआ है, वहीं इससे केवल सेंसेक्स के बाजार पूंजीकरण में 65,000 करोड़ रुपए की कमी आई है। यह कोई मामूली राशि नहीं है।
वैसे भी, बाजार के सिद्धांत के मुताबिक यह तकनीकी चूक बाजार में बिकवाली बढ़ने का संकेत है। इस तरह का टेक्निकल स्नैग पिछले महीने डाउ जोंस में आया था और उसे 1000 अंक की चपत लगी थी। बाद में हकीकत में डाउ जोंस गिरकर इसी स्तर तक नीचे चला गया। ऐसा जापान के निक्की सूचकांक के साथ भी हो चुका है। और, आज बीएसई के साथ भी ऐसा हो गया जहां हमने 600 अंकों (सेंसेक्स 16318) का नुकसान देखा। बाद में 250 अंकों का करेक्शन हुआ तो बाजार करीब 400 अंक ही गिरकर बंद हुआ।
हालांकि यह भी हो सकता है कि निफ्टी फ्यूचर्स लगातार निफ्टी कैश से 30-35 अंक पीछे चल रहा था जो निफ्टी में भारी शॉर्ट पोजिशन को दर्शाता है। निफ्टी 5000 के नीचे जाने को राजी नहीं दिख रहा था। लेकिन मंदड़िए अपने शॉर्ट सौदों को काटने के मौके की तलाश में थे। ऐसे में यह तथाकथित चूक या गलती मंदड़ियों के लिए मनमांगी मुराद बनकर आ गई और वे दबाकर निफ्टी को 5000 के नीचे ले गए।
खैर, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता और न ही मैं इस पर अपना माथा खपानेवाला हूं। बाजार में आई कमजोरी के बावजूद मैं अपनी पिछली राय पर कायम हूं। बाजार की तेजी को लेकर मुझे भरोसा है। मैं तो आपको सलाह दूंगा कि अब आप आईडीबीआई को पकड़ लें क्योंकि उसमें जबरस्त सक्रियता आनेवाली है।
जिंदगी में मुश्किल यह नहीं कि यहां बहुत सारे सवालों के जवाब नहीं हैं, बल्कि यह है कि यहां हर सवाल के बहुत सारे जवाब हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)