सेलन के पास खोजने को बहुत कुछ

साल 1992 में देश में हाइड्रोकार्बन की खोज व उत्पादन का काम निजी क्षेत्र के लिए खोला गया और सेलन एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी तभी से धरती के भीतर से इन्हें निकालने का काम कर रही है। उसे शुरू में सरकार से गुजरात में खोजे गए तीन तेल क्षेत्रों – बकरोल, इंदरोरा व लोहार को विकसित करने का काम मिला। इसके बाद गुजरात में ही दो और तेल क्षेत्रों – ओग्नाज व कर्जीसन का काम भी मिल गया। कंपनी इन तेल क्षेत्रों से जो भी कच्चा तेल व प्राकृतिक गैस निकालती है, उसे पूरा का पूरा सरकार उत्पादन हिस्सेदारी अनुबंध (पीएससी) के तहत खरीद लेती है। इसलिए कंपनी को मार्केटिंग व वितरण पर कुछ खास खर्च नहीं करना पड़ता।

सेलन एक्सप्लोरेशन इस समय अपने आवंटित तेल क्षेत्रों से साल में करीब 2.50 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर रही है। हालांकि पिछले एक साल से कंपनी का उत्पादन कमोबेश ठहरा हुआ है। लेकिन कंपनी प्रबंधन ने इधर बकरोल क्षेत्र में ऐसे नए बिंदु तलाशे हैं जहां खोदे गए तेल कुओं से अभी से दस गुना तेल निकाला जा सकता है। मतलब यह कि एक-दो तिमाहियों के बाद उत्पादन काफी बढ़ सकता है। हो सकता है कि दो तिमाहियों में यह दोगुना हो जाए। अभी उसके पास कुल 20 तेल कुएं हैं और हर तेल कुंए से साल में औसतन 10,000-15,000 बैरल तेल निकलता है। दस गुना होने का मतलब होगा कि प्रति कुआं तेल उत्पादन एक लाख से 1.5 लाख बैरल प्रति कुंआ हो जाएगा। लेकिन फिलहाल यह काफी लंबी अवधि की बात है।

बकरोल क्षेत्र में तेल का कुल अनुमानित भंडार 7.50 करोड़ बैरल का है। इसका मूल्य तकरीबन 25,000 करोड़ रुपए निकलता है, जबकि कंपनी का बाजार पूंजीकरण इस समय मात्र 500 करोड़ रुपए के आसपास है। कल, मंगलवार को इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 530075) में 2.11 फीसदी बढ़कर 292.65 रुपए और एनएसई (कोड – SELAN) में 2.29 फीसदी बढ़कर 292.90 रुपए पर बंद हुआ है।

कंपनी को जिन पांच तेल क्षेत्रों का मालिकाना हक मिला हुआ है, उनमें से वह फिलहाल केवल बकरोल तेल क्षेत्र से ही तेल निकाल रही है। वो भी कुल भंडार के पांच फीसदी से भी कम। बाकी चार तेल क्षेत्र अभी तक अनछुए पड़े हैं। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के आखिरी तिमाही में कंपनी ने लोहार ऑनशोर क्षेत्र में पहले तेल कुंए की खुदाई का काम शुरू किया है। वो चालू वित्त वर्ष में कर्जीसन क्षेत्र में सात और तेल कुंए खोदना चाहती है। कंपनी ने अपने आवंटित तेल क्षेत्रों की मैपिंग पर पिछले दो साल में करीब 80 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। लोहार व कर्जीसन से काफी सकारात्मक उम्मीद है। बहुत मुमकिन है कि लोहार में पहले तेल कुंए की कामयाबी के बाद 8-9 और तेल कुएं खोद लिए जाएं।

लक्ष्य है लोहार तेल क्षेत्र से सालाना 1.25 से 2.50 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन। इससे वित्त वर्ष 2011-12 में इंदरोरा व बकरोल तेल क्षेत्रों को मिलाकर कंपनी का कुल सालाना तेल उत्पादन बढ़कर लगभग 4 लाख टन हो सकता है। सेलन एक्सप्लोरेशन की मजबूती के कुछ और पहलू हैं: सभी तेल क्षेत्र पुख्ता है; कंपनी का ऋण/इक्विटी अनुपात मात्र 0.17 है और मार्च 2011 तक उसके ऊपर कुल 38.07 करोड़ रुपए का कर्ज था; तेल क्षेत्रों की मैपिंग या सर्वे का काम पूरा हो चुका है और वो 3-डी भूकंपीय परख भी कर चुकी है; लोहार क्षेत्र में खुदाई शुरू हो चुकी है; कंपनी इस साल दस नए तेल कुएं खोदेगी।

इस साल दो नए तेल क्षेत्रों से 15 अन्य तेल कुओं से कंपनी का उत्पादन काफी बढ़ सकता है। कंपनी का मौजुदा कैश फ्लो नए कुओं की खुदाई के खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इधर कंपनी ने अपने कुछ वर्तमान तेल क्षेत्रों में शेल गैस का पता भी लगाया है। चूंकि चट्टानों के बीच दबी शेल गैस को निकालने की टेक्नोलॉजी कुछ अमेरिकी कंपनियों के पास ही है। इसलिए सेलन एक्सप्लोरेशन निकट भविष्य में कोई विदेशी रणनीतिक साझीदार भी पकड़ सकती है। यह स्टॉक लंबे समय के निवेश के लिए काफी मुफीद दिख रहा है।

कंपनी ने कल ही सितंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक उसका शुद्ध लाभ 8.96 करोड़ रुपए पर ठहरा हुआ है, जबकि बिक्री 8.36 फीसदी बढ़कर 19.96 करोड़ रुपए हो गई है। इन नतीजों के बाद उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 21.17 रुपए हो गया है। इस आधार पर उसका शेयर अभी 13.82 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के अंत तक कंपनी का तेल उत्पादन 4 लाख बैरल सालाना तक पहुंचा तो उसका ईपीएस 60-65 रुपए और अगले साल 2012-13 में तेल उत्पादन 8 लाख बैरल होने पर ईपीएस 115 रुपए तक जा सकता है। कंपनी की इक्विटी मात्र 16.99 करोड़ रुपए है। इसका 42.02 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जिसमें से 16.42 फीसदी भारतीय और 25.60 फीसदी विदेशी प्रवर्तकों के पास हैं। वैसे, कंपनी के पांचों विदेशी प्रवर्तक भारतीय मूल के ही हैं। कंपनी में एफआईआई ने सितंबर तिमाही के दौरान अपना निवेश 2.20 फीसदी से घटाकर 0.66 फीसदी कर दिया है, जबकि डीआईआई का मौजूदा निवेश 0.15 फीसदी का है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 17,403 है। इसमें से 15,887 यानी 91.29 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं।

अंत में एक सुझाव। हमने अपनी तरफ से सेलन एक्सप्लोरेशन के बारे में आपको बताया। लेकिन आप इस उद्योग की अन्य कंपनियों पर भी नजर डालने के बाद ही निवेश का फैसला करें क्योंकि ओएनजीसी का शेयर इस समय 11.22 और ऑयल इंडिया का शेयर 11.88 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।

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