स्कूटर्स इंडिया है अंगद का पांव

स्कूटर्स इंडिया भारत सरकार की बीमार कंपनी है। केवल बीएसई (कोड – 505141) में लिस्टेड है। कभी लैम्ब्रेटा व विजय सुपर मॉडल के स्कूटर बनाती थी। अब थ्री ह्वीलर और उसके इंजिन व पार्ट-पुर्जे बनाती है। निजी क्षेत्र की किसी कंपनी को बेचने या उसके साथ संयुक्त उद्यम बनाने से ही इसका उद्धार हो सकता है। ऊंचे से ऊंचे स्तर से ऐसी बिक्री या गठबंधन का संकेत देकर इसके शेयर को उठाने की कोशिशें हो चुकी हैं। लेकिन यह शेयर अंगद के पांव की तरह जहां-तहां अड़ जाता है। अभी महीने भर पहले ही 26 अगस्त को भारी उद्योग मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने कहा था, “हम इसके लिए संयुक्त उद्यम बनाएंगे और बहुत सारी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है।” पूछने पर उन्होंने खुलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा का नाम लिया।

उस दिन स्कूटर्स इंडिया का शेयर 4.92 फीसदी बढ़कर 43.75 रुपए पर पहुंच गया। एक दिन में इससे ज्यादा बढ़ भी नहीं सकता क्योंकि इस पर 5 फीसदी का सर्किट ब्रेकर लगा हुआ है। कल भी इस पर सर्किट ब्रेकर लगा और यह 4.92 फीसदी बढ़कर 44.80 रुपए पर पहुंच गया। हो सकता है आज भी लगे क्योंकि कुछ ऑपरेटर इसकी भावी बिक्री के मद्देनजर इसे बटोरने में लगे हैं। लेकिन शेयर पिछले छह महीनों ने थोड़ा-सा बढ़कर लंबे समय तक अटक जाता है। जैसे, 31 मार्च 2010 को यह 25.10 रुपए पर बंद हुआ था। 26 मई को 19.35 रुपए तक चला गया। फिर उठा तो 20-21 करता हुआ 3 अगस्त को 25.30 रुपए पर था। फिर उठते-उठते 41.70 तक गया। उसके बाद 9 सितंबर को उसने 50.45 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बनाया। लेकिन अब फिर वही 40-45 पर अड़ा पड़ा है। ज्यादा उठापटक न करे, इसलिए बीएसई ने इसे ट्रेड टू ट्रेड के टी ग्रुप में डाल रखा है।

कंपनी को वित्त वर्ष 2009-10 में 128.97 करोड़ रुपए की आय पर 28.01 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इस साल जून 2010 की पहली तिमाही में उसने 28.76 करोड़ रुपए की आय पर 5.63 करोड़ रुपए का घाटा उठाया है। वह अपना घाटा साल भर पहले की अपेक्षा कम करने में कामयाब रही है। हालांकि उसकी बुक वैल्यू तक ऋणात्मक हो चुकी है। उसकी इक्विटी 42.99 करोड़ रुपए है जिसका 95.38 फीसदी हिस्सा सरकार के पास है। ऐसे में बमुश्किल पांच फीसदी शेयर बाहरी लोगों के पास हैं जो इसे किसी उद्धार और तेजी की उम्मीद में पकड़ कर बैठे होंगे। इसलिए भी इसमें वोल्यूम कम रहता है।

वैसे, इधर उसके बिकने की खबरों को फिर हवा दी जाने लगी है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा बजाज ऑटो, पियाजिओ और अतुल ऑटो इसे खरीदने की होड़ में प्रमुख हैं। इसमें भी राजकोट की थ्री ह्वीलर निर्माता कंपनी अतुल ऑटो ज्यादा गंभीर है क्योंकि श्री ह्वीलर फ्रंट इजिन में स्कूटर्स इंडिया के आधार का फायदा उठाना चाहती है। बजाज ऑटो और पियाजिओ रियर इंजिन का फायदा पकड़ने में लगे हैं। सरकार स्कूटर्स इंडिया की 74 फीसदी इक्विटी बेचेगी और चर्चाओं को सही मानें तो शेयर 65-70 रुपए पर बेचे जा सकते हैं। अतुल ऑटो भी खरीद सकती है। और, महिंद्रा एंड महिंद्रा भी क्योंकि उसने कोरिया की वाहन निर्माता स्सांगयोंग मोटर्स के साथ सहयोग समझौता किया और थ्री ह्वीलर में पैर जमाने की कोशिश में है। पिछले ही साल उसने जियो ब्रांड का श्री ह्वीलर लांच किया है।

आखिर में बस इतना कि स्कूटर्स इंडिया 1972 में बनी लखनऊ की कंपनी है। 1975 में उसने विजय सुपर मॉडल घरेलू बाजार और लैम्ब्रेटा विदेशी बाजार में निर्यात के लिए पेश किया। 1997 आते-आते कंपनी ने स्कूटरों का उत्पादन बंद कर दिया और श्री ह्वीलर बनाने लगी। उसका विक्रम ब्रांड काफी मशहूर है। लखनऊ, कानपुर और आसपास के इलाकों में सवारी ठोनेवाले थ्री ह्वीलर को विक्रम ही कहकर बुलाते हैं। एक बात ध्यान रखें कि स्कूटर्स इंडिया का भविष्य अधर में अटका है। इसलिए इसमें वही लोग निवेश करें जिनमें जोखिम उठाने और लंबे समय तक इंतजार करने का माद्दा हो। नहीं तो इसे लेकर रोते रहेंगे कि यह इतना अटका क्यों पड़ा है भाई।

1 Comment

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