हर सहारा कंपनी की एजेंट सहारा इंडिया!

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 12 मई तक सहारा समूह से उन सभी एजेंटों की सूची मांगी है जिन्होंने उसकी कंपनी सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन के ओएफसीडी (ऑप्शनली फुली कनर्विटल डिबेंचर) स्कीम के लिए घन जुटाया है। लेकिन एजेंटों की सूची पर सहारा इंडिया की सफाई देखने लायक होनी चाहिए क्योंकि सहारा समूह की सभी कम्पनियों की अधिकृत एजेंट तो अकेली सहारा इंडिया है। यह फर्म देश भर में अपनी शाखाएं खोल कर एजेंट नियुक्त करती है। इस तरह से वस्तुतः सारे एजेंट सहारा इंडिया के एजेंट हुए जिनका एक विस्तृत और व्यवस्थित मार्केटिंग और प्रमोशन तंत्र है।

सहारा इंडिया एक रजिस्टर्ड पार्टनरशिप फर्म है जो अपनी सारी प्राइवेट व पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों के लिए कलेक्शन एजेंट का काम करती है। गौर से देखिए तो इसके तमाम ऑफिसों में आज तक जितनी भी स्टेशनरी जारी हुई है उसमें सबसे ऊपर सहारा इंडिया लिखा होता है। नीचे छोटे अक्षरों में पब्लिक लिमिटेड कम्पनी का नाम होता है जिसके लिए कलेक्शन किया जा रहा है।

उसकी स्टेशनरी पर क्या लिखा रहता है,  इसका एक उदाहरण। SAHARA INDIA (Agent to: Sahara India Financial Corporation)। तकनीकी तौर पर निवेशक ने सहारा इंडिया नामक पार्टनरशिप फर्म को पैसा दिया है जो कि एक लिमिटेड कम्पनी की किसी स्कीम के लिए है। निवेशक के पास इसी साझेदार फर्म की रसीदें आदि होती है। जमा से लेकर मैच्योरिटी तक सारी स्टेशनरी पार्टनरशिप फर्म की होती है। जब म्यूचुअल फण्ड के नाम पर डिपॉजिट की गई थी तो अनिवार्य सदस्यता की खानापूर्ति के लिए एक रूपये के शेयर आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर लिए गए थे।

देश भर  में सहारा की जितनी शाखाएं है वे वस्तुतः सहारा इंडिया नामक पार्टनरशिप फर्म की है। यह पार्टनरशिप फर्म अब तक सैंकड़ों लिमिटेड कम्पनियों के नाम से सार्वजनिक जमा या पब्लिक डिपॉजिट ले चुकी है। दैनिक, मासिक या वार्षिक या फिक्स्ड डिपॉजिट का अच्छा खासा अनक्लेम्ड धन जमा हो जाता है तो यह सम्पतियों व देनदारियों के हस्तांतरण, नाम परिवर्तन आदि सुविधाओं का लाभ उठा कर समय-समय पर नाम परिवर्तन करती है और इससे अच्छा खासा लाभ कमाती है।

यह जांच का विषय होना चाहिए कि कैसे कोई पार्टनरशिप फर्म किसी कम्पनी की जमाओं के लिए एकल एजेंट बनी हुई है, देश भर में हजारों शाखाएं खोल कर धन एकत्र करती है और अपनी सुविधा से यह धन सम्बन्धित कम्पनियों में देती है।  देती है या नही यह भी नहीं पता।

गौरतलब है कि बैंकिंग व एनबीएफसी उद्योग की सबसे बड़ी आमदनी तो अनक्लेम्ड विशाल राशियों से होती है। ये धनराशि कम्पनियां स्वयं अन्य उपयोग में नही ले सकती है। पर मर्जर-डीमर्जर के खेल में सम्पत्तियों के हस्तांतरण द्वारा इस राशि के स्वतंत्र उपयोग का रास्ता खुल जाता है।

सुरेश कुमार शर्मा (लेखक वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ हैं और चुरु-राजस्थान स्थित भास्कर परा विद्या शोध संस्थान के सचिव भी हैं)

4 Comments

  1. sir hum jante hai sahara 33 salo se chal rahi hai aur karib 10 lakh logo ki jiwika uparjan karrahi hai aur aaj tak kisi tarah ka investment return na hua ho koi sabut nahi par avi pure desh me chit fund companies bhar gaye hai jo ye v nahi kahti hum public deposit lete hai unke liye koi kanoon kyon nahi hai just like rose vally,bassil,pan card club rammel industries, i core

    logo ki hito ko plz dhayan rakha jaye

  2. Sahara india is gered

  3. Sir me Sahara India me kam karna chahata hau kisme keys Jude hamko kuchha bataiye nahi to phone number dijeye me apse bats kar kar kuchha samjha jaunga

  4. Dir me sahara indiya me kam karna chata hun kese jude ap bahtaiye

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