सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। अदालत ने सैट (सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्राब्यूनल) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें उसने सहारा समूह की दो कंपनियों को 17,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एस एच कापड़िया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सहारा समूह की याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है।
बता दें कि कोर्ट ने 28 नवंबर 2011 के पिछले आदेश में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट (वर्तमान नाम – सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन से इस मामले में 9 जनवरी तक हलफनामा दाखिल करने को कहा था जिसमें कंपनियों को बताना था कि वो कैसे अपने 2.3 करोड़ निवेशकों की हितों की रक्षा करेंगी। इस हलफनामे में कंपनियों से वित्त वर्ष 2010-11 की बैलेंस शीट और नवंबर 2011 तक के खातों को भी शामिल करने को कहा गया था। सोमवार को सहारा समूह की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसने इस आदेश का पालन करते हुए हलफनामा जमा करा दिया है।
इससे पहले सैट ने 18 अक्टूबर 2011 को सुनाए गए आदेश में सहारा समूह की उक्त दोनों कंपनियों से कहा था कि निवेशकों को ब्याज समेत उनका धन लौटा दें। इसके लिए उसने 28 नवंबर तक का समय दिया था। लेकिन सहारा समूह अंतिम तिथि को सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आया जिसमें आदेश पर अमल की तारीख 8 जनवरी 2012 तक बढ़ा दी गई। अब एक बार फिर उसे 20 जनवरी तक खींच दिया गया है। यह पूरा मामला सहारा की इन कंपनियों की तरफ से ओएफसीडी (ऑप्शनी फुली कनवर्टिबल डिबेंचर) जारी करने का है जिसे जांच के बाद पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने कानून के खिलाफ ठहरा रखा है।