रुपए में कमजोरी का सिलसिला जारी है। डॉलर के सापेक्ष उसकी विनियम दर सोमवार को दोपहर तीन बजे के आसपास 1/52 रुपए से नीचे चली गई। 5 मार्च 2009 के बाद पहली बार रुपया इतना नीचे गिरा है। शाम पांच बजे तक एमसीएक्स एसएक्स में एक डॉलर की दर 52.27 रुपए हो गई, वहीं दिसंबर फ्यूचर्स का भाव 52.50 रुपए रहा है। अगर बाजार की मानें तो जून 2012 तक डॉलर/रुपए की विनिमय दर 53.20 रुपए हो सकती है।
आज रिजर्व बैंक द्वारा रुपए की संदर्भ दर डॉलर के सापेक्ष 51.7165 रुपए रही। कुछ ट्रेडरों ने गिरावट की वजह वित्त मंत्रालय से जुड़े आर्थिक मामलात विभाग के सचिव आर गोपालन के सुबह के उस बयान को बताया जिसमें उन्होंने कहा था, “रिजर्व बैंक के पास रुपए को गिरने से रोकने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने की सीमित क्षमता है।”
हालांकि यह भी माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ने विनिमय दर के 51.79 रुपए पर पहुंचने के बाद रुपए की तेज गिरावट को रोकने के लिए बाजार में कुछ डॉलर बेचे हैं। यूं तो बाजार में निराशा छाई है। लेकिन स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के क्षेत्रीय रिसर्च प्रमुख समीरन चक्रवर्ती जैसे कुछ लोगों का मानना है कि डॉलर इस तिमाही के अंत, यानी दिसंबर तक 50 रुपए पर आ जाएगा।
विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि बैंकों व आयातकों, खासकर पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग कंपनियों की तरफ से डॉलर की काफी मांग निकल रही है जिसने रुपए का मुकद्दर बिगाड़ रखा है। दूसरे, इक्विटी बाजार से विदेशी पूंजी के बाहर निकलने की आशंका ने माहौल को और बिगाड़ दिया है।
तमाम आर्थिक समस्याओं के लिए सौ फीसदी सरकार की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। आर्थिक विकास का फायदा सिर्फ अमीरों को हो रहा है। आम आदमी तो महंगाई के दलदल में धंसता जा रहा है