अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेच्रुरल रिसोर्सेज (आरएनआरएल) ने बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के साथ संशोधित गैस सप्लाई मास्टर एग्रीमेंट पर आज, 25 जून 2010 को दस्तखत कर लिए। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों के इसकी आधिकारिक सूचना देते हुए बताया है कि अब वह भारत सरकार से प्राकृतिक गैस के आवंटन की प्रक्रिया तेज करने को कहेगी।
असल में आरएनआरएल ने इसके लिए बाकायदा अनुरोध पेट्रोलियम मंत्रालय के पास भेज भी दिया है। आरएनआरएल और आरआईएल के बीच हुए नए गैस समझौते में क्या है, इसका खुलासा तो अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन बताते हैं कि दोनों पक्षों के लिए काफी माकूल शर्तों पर यह समझौता हुआ है। इसका सारा ब्यौरा सोम-मंगल तक तैयार हो चुका था। उसी के बाद बुधवार, 23 जून को अनिल अंबानी दिल्ली जाकर पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवरा और पेट्रोलियम सचिव एस सुदर्शन से मिले थे। उसी दिन कुछ घंटे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक पीएमएस प्रसाद भी देवरा से थोड़ी देर के लिए मिले थे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2010 को सुनाए गए अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्ष छह हफ्ते के भीतर आपस में बातचीत करके नया करार कर लें। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दो-एक के बहुमत से रिलायंस इंडस्ट्रीज के हक में फैसला सुनाते हुए कहा था कि गैस जब तक ग्राहक तक नहीं पहुंचती, तब तक वह पूरी तरह जनता का नुमाइंदा होने के कारण सरकार की है और किन्हीं भी दो पक्षों या परिवारों के बीच हुआ एमओयू कोई कानूनी वैधता नहीं रखता। इसलिए आरआईएल और आरएनआरएल को छह हफ्ते में आपसी बातचीत से नया गैस आपूर्ति समझौता कर लेना चाहिए।
कोर्ट के इस निर्देश का पालन कर हुए दोनों कंपनियों ने नया करार 22 जून को पूरी तरह तैयार कर लिया था और पेट्रोलियम मंत्रालय को दिखाने के बाद आज औपचारिक रूप से उस पर हस्ताक्षर कर दिए। इस पर मंत्रालय की राय जरूरी थी क्योंकि गैस आपूर्ति का सारा दारोमदार और अधिकार अब सुप्रीम ने सरकार पर डाल दिया है। इसलिए आरएनआरएल की बिजली परियोजनाओं को रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा-गोदावरी बेसिन के डी-6 ब्लॉक के कितनी गैस, कितने समय के लिए और किस मूल्य पर मिलेगी, इस पर अंतिम मुहर पेट्रोलियम मंत्रालय को ही लगानी है।