बिल्डरों का संकट है राजेश का सोना

यह शेयर बाजार है प्यारे। यहां बड़ा अजब-गजब चलता रहता है। चांदी भले ही इधर पिटने लगी हो, लेकिन सोने की चमक अभी बाकी है। फिर भी सोने के धंधे में लगी कंपनियों को बाजार से कायदे का भाव नहीं मिल रहा। ज्यादातर कंपनियों के शेयर इस समय 10 से कम के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं। जैसे, गीतांजलि जेम्स का पी/ई अनुपात इस समय 7, श्रीगणेश ज्वैलरी का 5.9, सु-राज डायमंड्स का 2.8, वैभव जेम्स का 3.8 और राजेश एक्सपोर्ट्स का पी/ई अनुपात 8.8 चल रहा है।

पी/ई अनुपात का मतलब होता है कि निवेशक कंपनी के एक रुपए के शुद्ध लाभ के लिए कितना भाव लगाने को तैयार हैं। जैसे, वैभव जेम्स का पी/ई अगर 3.8 है तो निवेशक उसके एक रुपए के लाभ पर केवल 3.8 रुपए का भाव देने को तैयार हैं। शेयर के बढ़ने के लिए कंपनी की कमाई के साथ बाजार या निवेशकों की यह धारणा बहुत मायने रखती है।

खैर, आज चर्चा राजेश एक्सपोर्ट्स की। 1990 में बनी यह कंपनी सोने और हीरे के आभूषणों का धंधा करती है। भारत से सोने के आभूषणों की सबसे बडी निर्यातक है। बैंगलोर इसका मुख्यालय है। अभी मार्च 2011 की तिमाही और वित्त वर्ष 2010-11 के नतीजे नहीं आए हैं। लेकिन दिसंबर 2010 की तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 73.39 फीसदी बढ़ा था। 14 फरवरी 2011 को इन नतीजों की घोषणा के बाद उसका शेयर (बीएसई – 531500, एनएसई – RAJESHEXPO) 136.85 रुपए तक चला गया था। हालांकि इससे पहले शायद इन नतीजों की उम्मीद में वो 27 जनवरी 2011 को इससे भी ऊपर 145.35 रुपए पर पहुंच गया था जो उसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर है।

शेयर का न्यूनतम स्तर 74.70 रुपए का है जो उसने 15 जून 2010 को हासिल किया था। इस समय वह इसी स्तर से ज्यादा करीब 88 रुपए पर है। ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 10.02 रुपए है तो पी/ई अनुपात 8.78 निकलता है जिसे आम तौर पर निवेश के लिए आकर्षक स्तर माना जाएगा। अतीत की बात करें तो यह स्टॉक दिसंबर 2007 में 39.25 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। अभी जनवरी 2011 में यह 26.50 के पी/ई तक गया था। इस तरह इतिहास इसमें बढ़ने की गुंजाइश बता रहा है।

लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि कंपनी ने मौका ताड़कर ज्यादा कमाई का नया जरिया भी पकड़ लिया है। आप इस बात से वाकिफ ही होंगे कि करीब एक साल से विभिन्न वजहों से रीयल एस्टेट सेक्टर को बैक ऋण नहीं दे रहे हैं। रिजर्व बैंक ने प्रावधान के मानक खड़े कर दिए हैं। राजेश एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन राजेश मेहता ने रीयल एस्टेट के इस संकट को अपने लिए फायदे में बदल दिया है।

उन्होंने कंपनी का 500 करोड़ रुपए का फंड अलग से रीयल एस्टेट को फाइनेंस करने के लिए रख दिया है। राजेश मेहता की अगुआई में सितंबर 2010 से लेकर अभी तक कंपनी कई बड़े और मध्यम स्तर के बिल्डरों को 380 करोड़ रुपए का ऋण दे चुकी है जिस पर वह 24 फीसदी सालाना ब्याज लेती है। इस तरह कंपनी को रीयल एस्टेट के रूप में नया सोना मिल गया है। इस धंधे में पैसा फंसने का जोखिम जरूर है। लेकिन राजेश मेहता जैसे मंजे हुए लोग इस जोखिम से निपटना जानते हैं। इसी हुनर के दम पर उन्होंने किसी के संकट को अपने लिए मौके में बदल लिया।

स्पष्ट है कि राजेश एक्सपोर्ट्स को कमाई के इस नए स्रोत का फायदा मिलेगा और इसका असर उसके स्टॉक पर भी दिख सकता है। अभी के स्तर से स्टॉक में कम के कम 25 फीसदी बढ़त की उम्मीद साल-छह महीने में की जा सकती है। कंपनी की इक्विटी 29.53 करोड़ रुपए है जो एक रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 50.51 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई ने इसके 15.86 फीसदी और डीआईआई ने 3.89 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 50,536 है।

उसके बड़े शेयरधारकों में तैयब सिक्यूरिटीज मॉरीशस (4.75 फीसदी), धीरजलाल जेरमभाई धकन (4.76 फीसदी) व उनके बेटे संदीप धीरजलाल धकन (4.74 फीसदी), रोहितकुमार पिपरिया (4.72 फीसदी), गोल्डमैन शैक्स (2.22 फीसदी) और एलआईसी (1.50 फीसदी) शामिल हैं। राजेश एक्सपोर्ट्स ने बिजनेस टुडे पत्रिका के एक सर्वे के हवाले खुद को देश की नंबर-1 इनवेस्टर फ्रेंडली या निवेशकों की हितैषी कंपनी बताया है। वैसे, कंपनी 2006 से लेकर लगातार अब तक हर साल लाभांश देती रही है। फरवरी 2008 में उसने अपने दो रुपए अंकित मूल्य के शेयर को एक रुपए अंकित मूल्य के दो शेयरों में स्प्लिट किया था। साथ ही उसने अपने शेयरधारकों को हर एक शेयर पर दो शेयरों का बोनस भी दिया था।

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