रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को हिदायत दी है कि वे क्रेडिट कार्ड के कामकाज के बारे में बिना किसी लाग-लपेट के तय दिशानिर्देशों का पालन करें, नहीं तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना लगाना भी शामिल है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बाकायदा एक अधिसूचना जारी कर यह निर्देश दिया है। असल में इधर रिजर्व बैंक से लेकर बैंकिंग ओम्बड्समैन के कार्यालयों को क्रेडिट कार्डधारकों से बराबर शिकायतें मिल रही हैं कि बैंक उन्हें बगैर पूरी जानकारी दिए अनाप-शनाप शुल्क ले रहे हैं।
बता दें कि उपभोक्ता अदालतों में भी बैंकिंग सेवा में गड़बड़ी से जुड़े ज्यादातर मामले क्रेडिट कार्ड को लेकर ही होते हैं। रिजर्व बैंक के मुताबिक क्रेडिट कार्डधारक जिस तरह की शिकायतें कर रहे हैं, उनमें प्रमुख हैं – बैंक ज्यादा फाइनेंस चार्ज ले रहे हैं, जबरन क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं, बिना मांगे कार्ड पर बीमा पॉलिसी दे दी जा रही है और फिर उस पर प्रीमियम शुल्क की रिकवरी की जा रही है। साथ ही यह भी कि शुरू में ‘लाइफटाइम फ्री’ बताकर जो क्रेडिट कार्ड जारी किए जाते हैं, बैंक बाद में उन पर सालाना फीस लगा देते हैं। गलत बिलिंग, फोन पर ही लोन जारी कर देना, टेलिफोन पर सेटलमेंट के ऑफर, कार्डधारक की मृत्यु पर बीमा क्लेम न देना, फोन पर गाली-गलौज और कार्ड जारी करनेवाले बैंक के कॉल सेंटर से खराब प्रतिक्रिया जैसी शिकायतों की भी फेहरिस्त लंबी-चौड़ी है।
रिजर्व बैंक ने अपने दो सर्कुलरों का उल्लेख करते हुए बताया है कि बैंकों को अपने क्रेडिट कार्डधारक को ब्याज दरों की ऊपरी सीमा से लेकर छोटे परसनल लोन के प्रोसेसिंग शुल्क की स्पष्ट जानकारी देनी होती है। अगर वे कार्डधारक द्वारा भुगतान में चूक या उसके पुराने डिफॉल्ट के चलते ज्यादा ब्याज ले रहे हैं तो उसे इस बात की साफ जानकारी देनी होगी। बताना होगा कि सामान्य ब्याज की दर इतनी है, लेकिन पुराने डिफॉल्ट के चलते आपसे ज्यादा ब्याज लिया जा रहा है। इसके लिए बैंकों को अपनी वेबसाइट या दूसरे तरीकों से प्रचारित करना होगा कि वे किस श्रेणी के ग्राहक से कितना ब्याज लेते हैं। उन्हें कार्डधारक को उदाहरण देकर बताना होगा कि वे फाइनेंस चार्ज की गणना कैसे करते हैं, खासकर उस अवस्था में जब कार्डधारक बकाया राशि का एक हिस्सा ही अदा करता है। बैंकों को अपने क्रेडिट कार्ड कामकाज में ग्राहक के साथ पूरी पारदर्शिता बरतनी होगी।
रिजर्व बैंक का कहना है कि उसने 1 जुलाई 2010 को जारी मास्टर सर्कुलर और 7 मई 2007 को जारी सर्कुलर में बैंकों व एनबीएफसी के क्रेडिट कार्ड कारोबार के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर रखा है। इसमें कार्ड जारी करने, ब्याज दर व अन्य शुल्क, गलत बिलिंग, डायरेक्ट सेल्स/मार्केटिंग एजेंट के उपयोग, ग्राहक के अधिकार, उसकी निजी जानकारियों की गोपनीयता और बकाया हासिल करने के वाजिब तरीकों जैसे हर मसले पर ब्यौरेवार नियम बनाए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद बैंक ग्राहकों के अनजान होने का फायदा उठाकर दिशानिर्देशों का सही पालन नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब रिजर्व बैंक इस शिकायतों को खुद संज्ञान में लेगा और दोषी बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।