तिहाड़ जेल में बंद पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए राजा ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी चिदंबरम को भी लपेटा है। राजा ने कहा है कि स्पेक्ट्रम की ब्रिकी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में मंजूरी दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि डीबी रियल्टी को स्पेक्ट्रम बेचने की मंजूरी तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी दी थी।
इस बीच जहां प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने जहां सरकार पर हमला तेज करते हुए प्रधानमंत्री और चिदंबरम के इस्तीफे की मांग कर दी है, वहीं केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि अदालत में दिया गया राजा का यह बयान सबूत नहीं माना जा सकता। राजा की अपनी पार्टी डीएमके ने भी 2जी मामले में प्रधानमंत्री का नाम लेने के उनके बयान से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी का कहना है कि राजा के इस बयान से पार्टी को कुछ लेना-देना नहीं है।
दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई के दौरान पूर्व मंत्री राजा ने खुद का बचाव किया और कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलाम नहीं करने का फैसला एनडीए सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाते हुए किया था। राजा ने कहा, “अगर मैंने जो नीति अपनाई वह गलत थी, तो 1993 के बाद से सभी पूर्व मंत्रियों को भी मेरे साथ जेल भेजा जाना चाहिए।”
तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी राजा के बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि यूनिटेक और स्वान टेलिकॉम ने विदेशी भागीदारों को स्पेक्ट्रम नहीं बेचा था। प्रवर्तकों द्वारा नए शेयर जारी कर उन्हें शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में प्रवर्तकों द्वारा नए शेयर जारी कर विदेशी भागीदारों को शामिल करने पर चर्चा की गई थी। चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने केवल इस बात को परखा था कि स्वान टेलिकॉम और यूनिटेक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं या नए शेयर जारी कर अपना हिस्सा कम कर रहे हैं।