देश में उच्च शिक्षा की स्थिति का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के फैसले से राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (एनकेसी) के अध्यक्ष सैम पित्रोदा खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर अमल करने में देरी होगी।
पित्रोदा ने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘मानव संसाधन विकास के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्वेक्षण कराने के फैसले से मैं परेशान हो गया। इस तरह के सर्वेक्षण की कोई जरूरत नहीं है। इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर अमल में और देरी होगी।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ज्ञान आयोग पिछले पांच सालों से सक्रिय है लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है। काम के बजाय अभी केवल चर्चा-परिचर्चा का दौर चल रहा है।
पित्रोदा ने कहा कि चर्चा-परिचर्चा का दौर अब समाप्त होना चाहिए। अब इन सुधारों पर अमल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां तक उच्च शिक्षा की स्थिति पर सर्वेक्षण की बात है तो कुलपतियों को इसकी पूरी जानकारी है और वह इस बारे में ब्यौरा दे सकते हैं। इस सिलसिल में पित्रोदा ने कुलपतियों को एक प्रश्नावली दी और उनसे उच्च शिक्षा के बारे में कुछ जानकारी मांगी। उन्होंने कहा कि इसे मंत्रालय को भेजा जा सकता है।
उधर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कई राज्यों के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की राजनीतिक नियुक्ति पर चिंता जताई है। कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कुलपतियों की नियुक्ति राजनीतिक प्रतिष्ठानों की शह पर हो रही हैं। इस चलन को समाप्त किया जाना चाहिए। क्या इससे नये भविष्य का निर्माण हो सकता है।’’
शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों के हड़ताल करने के चलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक पाठ्यक्रम और शिक्षा की रूपरेखा को लेकर विरोध प्रदर्शन और हड़ताल पर जाएं, ऐसा उन्होंने किसी और दूसरे देश में नहीं सुना है।