महीने भर में होगा शेयरों के डेरिवेटिव्स में फिजिकल सेटलमेंट पर अंतिम फैसला

शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अपनाने पर महीने भर के भीतर अंतिम फैसला हो जाएगा। यह कहना है पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन सीबी भावे। वे गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सर्टिफिकेशन एक्जामिनेशन फॉर फाइनेंशियल एडवाइजर्स (सीएफए) के लांचिंग समारोह के दौरान मीडिया से बात कर रहे थे। उनका कहना था, “स्टॉक एक्सचेंजों के साथ तमाम मसलों पर विमर्श हो चुका है और महीने भर के भीतर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।”

बता दें कि सेबी ने 6 मार्च 2010 को अपनी बोर्ड मीटिंग शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करने का सैद्धांतिक फैसला किया था। भावे ने उसी दिन एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि स्टॉक एक्सचेंजों के साथ व्यापक बातचीत के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। इसके चार महीने बाद लगता है कि इसे अपनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसे शुरुआत में एनएसई में ही लागू किया जा सकता है क्योंकि देश के दूसरे प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में तो डेरिवेटिव सौदे न के बराबर होते हैं। इधर कुछ समय से डेरिवेटिव सौदों का वोल्यूम घट रहा है। इसी के मद्देनजर सेबी के कल ही इन सौदों में मार्जिन 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है।

सेबी चेयरमैन सी बी भावे ने एनएसई के समारोह में यह भी बताया कि जल्दी ही करेंसी डेरिवेटिव सौदों में ऑप्शंस की भी शुरुआत कर दी जाएगी। अभी तक एनएसई और एमसीएक्स-एसएक्स में करेंसी फ्यूचर्स के ही सौदे होते हैं। इसकी शुरुआत अगस्त 2008 में रुपया-डॉलर के सौदों से हुई थी। लेकिन जनवरी 2010 से इसमें यूरो-रुपया, येन-रुपया और पौंड-रुपया के सौदे भी शामिल कर दिए गए हैं। करेंसी ऑप्शन की रूपरेखा रिजर्व बैंक और सेबी की संयुक्त टेक्निकल कमिटी तैयार कर रही है। इसकी बड़ी मांग है। वैसे भी दुनिया भर में विदेशी मुद्रा व्यापार का लगभग 20 फीसदी हिस्सा ऑप्शन सौदों का होता है।

शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लाने का फैसला सेबी ने अपनी एक समिति की सिफारिश के आधार पर किया है। अभी तक इंडेक्स ही नहीं, शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में भावों का अंतर नकद ले-देकर पूरा कर लिया जाता है। इसलिए हम महीने सेटलमेंट के दिन और उसके कुछ पहले तक बाजार पर भारी दबाव रहता है। शेयरों के डेरिवेटिव में फिजिकल सेटलमेंट होने से अतिशय सट्टेबाजी पर थोड़ी लगाम लग सकती है। बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज – शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज तक में सारे नए कांट्रैक्ट फिजिकल सेटलमेंट व्यवस्था के तहत शुरू किए जाते हैं। भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल हैं, जहां अभी तक शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था नहीं अपनाई गई है। फिजिकल सेटलमेंट में भावों के अंतर के बजाय शेयरों का लेनदेन किया जाता है।

बता दें कि एनएसई के जिस सीएफए कार्यक्रम की शुरुआत सेबी चेयरमैन भावे की मौजूदगी में हुई है, उसका संचालन एनआईएसएम (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्यूरिटीज मार्केट्स) और फाइनेंशियल प्लानिंग कॉरपोरेशन (इंडिया) प्रा. लिमिटेड मिलकर कर रहे हैं। एनआईएसएम सेबी द्वारा बनाया गया संस्थान है। भावे ने समारोह में यह भी कहा कि सेबी फाइनेंशियल एडवाइजरों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उपायों पर भी विचार कर रही है।

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