आर्थिक विकास दर को लेकर बढ़ने लगी शंका

बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ महंगा होता कर्ज उद्योगों की मुश्किलें बढ़ाता रहा है और उद्यमियों को लग रहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि आठ फीसदी से ज्यादा नहीं रहेगी। प्रमुख उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा उत्तर भारत के उद्योगों के बीच किए गए सर्वेक्षण में 60 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जीडीपी वृद्धि आठ फीसदी से अधिक होगी और 10 फीसदी का तो मानना है कि यह दर सात फीसदी से भी कम रहेगी।

अर्थव्यवस्था की धुंधली तस्वीर पेश करते हुए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि बढ़ती ब्याज दर और लागत उद्योग की दो प्रमुख चिंताएं है और इसका समाधान करने की जरूरत है। जुलाई से सितंबर की अवधि के लिए सीआईआई द्वारा किए गए अपने कारोबारी दृष्टिकोण सर्वेक्षण में कहा गया कि सिर्फ 40 फीसदी प्रतिनिधियों को उम्मीद है कि आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी से ज्यादा रहेगी, जबकि अप्रैल से जून 2011 की अवधि के लिए किए गए सर्वेक्षण में ऐसे उद्यमियों का अनुपात 62 फीसदी था।

सीआईआई ने कहा कि इससे मौजूदा तिमाही के दौरान वृद्धि दर कम होने की आशंका जाहिर होती है। मुद्रास्फीति के मामले में सर्वेक्षण के मुताबिक 87 फीसदी लोगों को उम्मीद है कि यह साल के अंत तक सात फीसदी से ज्यादा रहेगी।

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