हमारा काम

बीज डाल दो। मिट्टी पौधे से पेड़ बन जाती है। सुंदर फूल व फल में ढल जाती है। हमारा काम चेतना का बीज फेंकने का है। बाकी काम प्रकृति का है। हम कुछ जोड़-घटा नहीं सकते। बस सज्जा बदल सकते हैं।

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