महज मुठ्ठी भर हैं जिगरवाले मंदड़िए

अमेरिका में मचा बवाल, डाउ जोंस का 512 अंक गिरना, एशियाई बाजारों को लगी चपत और यूरोप की अस्पष्टता अपने साथ भारतीय बाजार को भी बहा ले गई। वैसे, मंदडियों का समुदाय आज सबसे ज्यादा मौज में रहा होगा, बशर्ते उन्होंने पर्याप्त शॉर्ट सौदे कर रखे होंगे। लेकिन यह काफी मुश्किल लगता है क्योंकि बाजार में शॉर्ट सेलिंग के महारथी व जिगर वाले ट्रेडर मुठ्ठी भर ही हैं। उनके कौशल को मैं सलाम करता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि वे बहुत तेजी से पाला बदलने की कला में भी माहिर हैं। दरअसल किसी को हवा तक नहीं लगती कि कब उन्होंने अपने शॉर्ट सौदे काटकर लांग पोजिशन पकड़ ली।

बाजार आज 5204.35 पर खुला। कोई भी ट्रेडर उस वक्त शॉर्ट करने की स्थिति में नहीं था। शुरुआती वोल्यूम और कल के बकाया सौदों से साफ झलक रहा था कि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि निफ्टी इस तरह 125 अंक से ज्यादा गिर जाएगा। इसलिए 5200 के नीचे जाते ही अफरातफरी मच गई। असली चोट तब लगी जब 5180 का स्तर भी टूट गया, जो जनवरी में अब तक का न्यूनतम स्तर रहा था। लांग पोजिशन काटी जाने लगीं। 5114 तक शॉर्ट सौदे होने लगे। हालांकि मंदड़िए इसे गिराकर 5080 तक ले जाने की फिराक थे जो नहीं हो सका। आप यह बात जाने लें कि जिगर वाले मंदड़ियों के अलावा कोई भी गिरते बाजार में बड़े नोट नहीं बना सकता क्योंकि अगर बाकी लोग ट्रेडिंग में कुछ नोट बनाते भी हैं तो उससे ज्यादा डिलीवरी मूल्यांकन में गंवा देते हैं। वैसे भी बाजार में मंदड़ियों और तेजड़ियों का अनुपात 1 पर 1000 का है।

खैर, यह सब बातें एक तरफ। भारत अगले पांच सालों में 7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। बहुत से नए अमेरिकी बैंक अभी से भारत में दफ्तर खोलने की जुगत भिड़ाने में लग गए हैं। असल में बहुत-सी विदेशी कंपनियों ने हम से भी संपर्क किया है क्योंकि अगले पांच सालों में यहां का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिख रहा है। भारत को 1.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 64 साल लग गए और अब हम अगले पांच सालों में ही 7 लाख करोड़ डॉलर की मंजिल पकड़ने जा रहे हैं जिसका मतलब है कि अगले पांच सालों में हर साल 50 फीसदी की चक्रवृद्धि दर।

मैंने मार्च 2009 में लिखा था कि भारतीय बाजार में 500 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश आएगा। हम यह स्तर हासिल कर चुके हैं जिससे बाजार नई ऊंचाई पर जा चुका है। अब मैं डंके की चोट पर कहता हूं कि अगले 12 से 18 महीनों में हमारे यहां 2500 करोड़ डॉलर का बाहरी निवेश आएगा। आप इन नोटों से आगे की बदलती रंगत को देख सकते हैं।

मेरा कहना है कि बाजार की हालत को लेकर घबराएं नहीं हैं। तात्कालिक हिचकियां तो आती हैं और चली जाती हैं। वैसे हालात अगर बिगड़े तो अगले दस दिनों में निफ्टी 5000 तक भी जा सकता है। इसके लिए मानसिक तैयारी कर लीजिए। लेकिन उसके बाद जब वह वापसी करेगा तो अक्टूबर 2011 तक बढ़कर 5700 पर पहुंच जाएगा।

डीसीएम ने बुरे नतीजे घोषित किए हैं, हालांकि उसकी बिक्री 71 करोड़ रुपए से ठीकठाक बढ़कर 94 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। इसकी एक वजह पिछली तिमाही में कपास के दामों में आई तेज गिरावट है। कपास के दाम इस दौरान 140 रुपए से घटकर 70 रुपए प्रति किलो पर आ गए। अब सरकार द्वारा अतिरिक्त कपास के निर्यात की इजाजत देने के बाद इसके दाम फिर बढ़ने लगे हैं। यहां तक कि प्रबंधन ने भी नतीजों के साथ दिए गए नोट में लिखा है कि अगली तिमाही फिर से अच्छी रहेगी। लेकिन डीसीएम का शेयर आज 18.36 फीसदी गिरकर 63.80 रुपए पर पहुंच गया।

हालांकि खराब नतीजों के बावजूद इस तरह की गिरावट का तुक नहीं है क्योंकि इंजीनियरिंग कंपनी के मूल्यांकन (75 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्य अब 130 रुपए प्रति शेयर आंका गया है) के साथ इसकी बुक वैल्यू ही 81 रुपए है। कंपनी के पास पुणे, दिल्ली और हिसार में अच्छी-खासी जमीन है। यह भी प्रबंधन का एक और खेल है जो अपने भारत में बहुत आम है। नतीजों के साथ दिए गए नोट-1 में कहा गया है कि इनवेंटरी नुकसान के चलते लाभ-हानि खाते से 22 करोड़ रुपए का लाभ हटा दिया गया है। ऐसा आमतौर पर साल के अंत में किया जाता है।

अरबिंदो फार्मा ने भी 100 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है। क्या इसका मतलब हुआ कि कंपनी का मूल्य चुक गया है? डीसीएम ने अगर 18 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है तो यह इसके स्टॉक को खरीदने की वाकई बहुत अच्छी वजह है। बहुत मुमकिन है कि ऐसा कुछ मजबूत हाथों की एंट्री को सुगम बनाने के लिए किया गया हो। खैर, मैं इस स्टॉक को लेकर पहले की तरह अब भी तेजी की धारणा रखता हूं और मेरा इस स्टॉक में कोई भी निहित स्वार्थ नहीं है। जिन निवेशकों ने इसके शेयर खरीदे हैं, वे अगर हवा में बहकर इसे बेचकर घाटा नहीं उठाते तो लंबे वक्त में उन्हें अच्छा-खासा फायदा होगा।

दरअसल, यही वजह है कि हम हमेशा गहरी रिसर्च की सलाह देते हैं ताकि आप कंपनी व उसके मूल्यांकन को अच्छी तरह समझ सकें। स्टॉक को पकड़कर भावों को नचाना ऑपरेटरों का खेल है। हमतो अपनी सिफारिश और लक्ष्य पर अडिग रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनएमडीसी को बेल्लारी संयंत्र में उत्पादन करने की इजाजत दे दी है। यह एक और संकेत है कि नकारात्मक स्थितियां धीरे-धीरे करके मिट रही हैं।

किसी समाज के मौजूदा आधार को तहस-नहस करने का सबसे महीन और पक्का तरीका है कि उसकी मुद्रा को खोखला बना दिया जाए।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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