एक कदम पीछे, तभी दो कदम आगे

उम्मीद के मुताबिक 5050 पर पहुंचकर निफ्टी की सांस फूलती नजर आई। जाने को वह सवा तीन बजे के आसपास ऊपर में 5064.15 तक चला गया। पर बंद हुआ 0.60 फीसदी की बढ़त के साथ 5048.60 पर। वैसे, यह अब भी 5140 तक जा सकता है। लेकिन अगर यह सीधे-सीधे वहां तक चला गया तो बाजार में लांग बने रहने का कोई तुक नहीं रहेगा क्योंकि करेक्शन के बिना कोई अच्छी चीज टिकती नहीं है।

मेरा तर्क बड़ा साफ है। निफ्टी अगर अगले हफ्ते बुधवार तक बिना किसी करेक्शन के 5140 तक पहुंच जाता है तो इसका मतलब यह होगा कि तेजड़िए अपनी लांग पोजिशन फरवरी में नहीं ले जाना चाहते और वे बुधवार को सारा हिसाब-किताब बराबर कर कैश मुनाफा घर ले जाएंगे। आखिर निफ्टी 4600 से 5050 पर आ चुका है और तमाम स्टॉक्स 30 से 80 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। ऐसे में उसे और चाहिए भी क्या?

लेकिन अनुमान के अनुरूप जिस तरह बाजार के जमने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उसमें अगर उसे आगे उठना है तो पहले निफ्टी को सोमवार व मंगलवार को 4900/4880 तक ठंडा होने देना होगा। उसके बाद फिर तेजी से दिशा पलटेगी। अभी की स्थिति में बाजार ओवरबॉट अवस्था में पहुंचा हुआ है। यहां-वहां, हर तरफ से आ रही 100 में से 90 कॉल्स लांग सौदे की हैं। इसका मतलब यह कि फंडिंग के दम पर लांग पोजिशन बनाई जा रहा है। यह स्थिति खतरनाक है।

जब बाजार निकलने का मौका दे रहा है तो वे खरीद रहे हैं और जब बाजार निकलने का मौका नहीं देता तो वे बेचने लग जाते हैं। इससे आप उनके असली मंतव्य को आसानी से पढ़ सकते हैं। इसी के हिसाब से आपको अपना फैसला करना चाहिए। कम से कम मेरा ऐसा मानना है कि फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में, स्टॉक्स का 30 फीसदी बढ़ना या गिरना आपसी मिलीभगत का नतीजा है और इसलिए आपको इस झूठे बाजार का शिकार नहीं बनना चाहिए, बल्कि इससे खेलना चाहिए।

जहां तक अपने बाजार का ताल्लुक है तो जोड़तोड़ व धांधली यहां का मंत्र है। कैश सेटलमेंट की व्यवस्था इसमें मददगार साबित होती है। नहीं तो एफआईआई के जनवरी में खरीदने के लिए यूं बावला होने की कोई वजह नहीं थी क्योंकि वे तो इससे ठीक पहले भारत को लेकर इस कदर मंदी की धारणा पाले हुए थे कि सेंसेक्स के 13,000 तक गिरने की बात कर रहे थे। इधर फ्यूचर्स में एफआईआई का 2200 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश शॉर्ट कवरिंग के सिवा कुछ नहीं है। असल में वे पी-नोट्स में शॉर्ट हुए पड़े थे जिसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) सोमवार को 840 रुपए तक जा सकता है या 730 रुपए तक गिर भी सकता है। इसका फैसला इससे होगा कि कंपनी बायबैक पर क्या फैसलता लेती है और उसके नतीजे कैसे रहते हैं। दोनों ही तरफ काफी जोखिम है। इसलिए मेरा सुझाव है कि इसमें लांग और शॉर्ट का संतुलन बनाना सबसे अच्छा रहेगा। इसके लिए आपको कैश सिस्टम के काउंटर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आरआईएल सोमवार को गिरता है तो सारा बाजार धराशाई हो जाएगा और इसमें रोल्स का अच्छा इस्तेमाल हो सकता है। अभी तक तक रोल्स का मामला बड़ा ठंडा चल रहा है।

खैर, इस समय कुछ स्टॉक्स को छोड़कर जोखिम का पलड़ा लांग के पक्ष में नहीं झुका है। इस सेटलमेंट में बहुत सारे स्टॉक्स तो अपने सही मूल्य पर आ गए, जबकि कुछ स्टॉक्स अभी तक वाजिब मूल्यांकन तक नहीं पहुंच पाए है जिनमें लांग रहने का जोखिम उठाया जा सकता है। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अभी बी ग्रुप के शेयरों में जिस तरह की भागीदारी है, उससे बाजार में सीधी रैली का संकेत नहीं मिलता।

औरों पर कारगर असर डालने का मुख्य ही नहीं, बल्कि इकलौता तरीका है उनके सामने खुद उदाहरण पेश कर देना।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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