ओम्निटेक इनफो बढ़ेगा तो कितना!

ओम्निटेक इनफोसोल्यूशंस का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532882) में 8.47 फीसदी उछल कर 152.40 रुपए और एनएसई में 7.92 फीसदी उछल कर 151.30 रुपए पर बंद हुआ है। इसके बावजूद सस्ता है क्योंकि उसका टीटीएम (ठीक पिछले बारह महीनों का) ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 39.32 रुपए है और इस तरह वो केवल 3.88 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। असल में इधर एफआईआई अपना ध्यान बड़ी आईटी कंपनियों से हटाकर छोटी कंपनियों की तरफ लगा रहे हैं। तो, इसी माहौल में ओम्निटेक भी उछल गया।

यह करीब बीस साल पुरानी 1990 में बनी कंपनी है। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों – आईबीएम, बोरलैंड, वेरिटास, सिस्को, माइक्रोसॉफ्ट, ओरैकल, एचपी व इनटेल के सहयोग से अपनी सेवाएं व सॉफ्टवेयर बेचती है। इसी साल जनवरी में उसने नीदरलैंड/हॉलैंड की एक कंपनी का अधिग्रहण 90 लाख डॉलर (करीब 40.50 करोड़ रुपए) में किया है। कंपनी ने अभी वित्त वर्ष 2010-11 और मार्च 2011 की तिमाही क नतीजे घोषित नहीं किए हैं। लेकिन दिसंबर 2010 की तिमाही में उसने 81.23 करोड़ रुपए की आय पर 14.45 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में उसकी आय में 41 फीसदी और शुद्ध लाभ में 42 फीसदी का इजाफा हुआ था। इस दौरान उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) भी 31.14 फीसदी से बढ़कर 33.79 फीसदी हो गया।

पिछले तीन सालों में कंपनी की आय और शुद्ध लाभ में लगातार बढ़त दर्ज की गई है। 2009-10 में उसने 217.76 करोड़ रुपए की आय पर 39.39 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था, जबकि 2007-08 में उसकी आय 132.63 करोड़ व शुद्ध लाभ 25.57 करोड़ रुपए था। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में दिसंबर तक के नौ महीनों में ही वह 226.84 करोड़ रुपए की आय पर 41.93 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमा चुकी है जो 2009-10 के पूरे साल भर के आंकड़ों के ज्यादा है।

जाहिरा तौर पर कंपनी की रफ्तार व सक्रियता अच्छी है। पूंजी बाजार में भी उसकी हलचल बनी रहेगी क्योंकि उसे क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) के जरिए संस्थागत निवेशकों से 100 करोड़ रुपए जुटाने हैं। क्या इतनी सारी खूबियों और मजबूती के बाद भी कंपनी के शेयरों में निवेश के लाभकारी होने के बारे में कोई संदेह है? हां, है। यह संदेह उपजता है कि कंपनी की नेतृत्वकारी टीम के स्वरूप को लेकर।

कपंनी के प्रबंधन निदेशक व सीईओ अतुल हेमानी हैं। उनकी टीम के अन्य प्रमुख सदस्य हैं – अविनाश पिटाले, देवर्षि बुच, अनुराग शाह और अजय कोटकर। ये सभी लगता है कि सहपाठी हैं क्योंकि सभी ने मुंबई विश्वविद्यालय से बीई (बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग) की डिग्री ले रखी है। सभी के पास 20-25 साल का अनुभव है। लेकिन संदेह उनकी योग्यता और होड़ में टिके रहने की क्षमता को लेकर होता है। किसी के पास आईआईटी से मिली बीटेक की डिग्री नहीं है। यूं तो उद्यमशीलता और डिग्री में कुछ रिश्ता नहीं होता। लेकिन जिस तरह से आईआईटी और आईआईएम के छात्र खुद अपना धंधा शुरू करने के प्रति लालालित हैं, उसमें वो कभी भी जबरदस्त चुनौती पेश कर सकते हैं। खासकर आईटी उद्योग में तो चीजें बड़ी तेजी से बदल जाती हैं।

दूसरी एक बात और है कि ओम्निटेक इनफोसोल्यूशंस स्मॉल कैप कंपनी है। बाजार पूंजीकरण महज 194 करोड़ रुपए का है। जरा-सा कंकड़ फेंकते ही तेज उछाल जाता है। इसलिए जब आईटी उद्योग में इनफोसिस जैसी शानदार व संभावनामय कंपनियां पड़ी हैं तो हम जैसे आम निवेशकों को ओम्निटेक पर दांव नहीं लगाना चाहिए। तीसरी बात यह भी नोट करने की है कि मार्च 2008 के बाद से इस स्टॉक का पी/ई अनुपात ज्यादातर 10 के नीचे ही रहा है। मार्च 2008 में पी/ई अनुपात 6.60 था। सितंबर 2010 में 10.17 पर गया था जो उसका सर्वोच्च स्तर है। इस शेयर का 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 275.95 रुपए है जो उसने 27 सितंबर 2010 को हासिल किया था।

जाहिर है, ओम्निटेक इनफोसोल्यूशंस में बढ़त की गुंजाइश तो है। लेकिन यह कई गुना रिटर्न नहीं दे सकता। दूसरे इसका आधार छिछला है। इसलिए इसमें वोलैटिलिटी ज्यादा रहेगी। चाहें तो दांव लगा सकते हैं। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर मैं इसके बीस शेयरों के बजाय इनफोसिस का एक शेयर लेना ज्यादा पसंद करूंगा। बाकी आपकी मर्जी।

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