अक्टूबर में होगा वन-टू का फोर

बाजार में बढ़त जारी है। बीएसई सेंसेक्स 20000 के स्तर से करीब 410 अंक और एनएसई निफ्टी 6000 के स्तर से करीब 120 अंक पीछे है। लेकिन मेरा यकीन है कि इस सेटलमेंट में ऐसा नहीं हो पाएगा। हालंकि इसी सेटलमेंट में निफ्टी 6000 अंक के ऊपर चला गया तो मैं इस दुनिया का सबसे खुश इंसान होऊंगा क्योंकि यह मेरा सपना रहा है। मैं निफ्टी में 2800 अंक से लेकर आपको 5900 तक लाया हूं और आपको निफ्टी के 10,000 अंक के पार तक भी ले जाऊंगा। लेकिन इस महीने इसके 6000 तक पहुंचने की चाहत पूरी होनी मुमकिन नहीं लगती।

रिटेल निवेशक निफ्टी में अपने शॉर्ट सौदे काटने के बाद अब लांग हो गए हैं। वे अभी तक न्यूज चैनलों की सलाह मानकर निफ्टी में 5000 अंक के स्तर से ही शॉर्ट चल रहे थे, जिसके चलते उन्हें नुकसान भी हुआ है। इसके अलावा निफ्टी के फिलहाल 6000 अंक तक न जाने की दो अन्य वजहें हैं। एक, इसमें ओपन इंटरेस्ट दो लाख करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है जो जनवरी 2008 के स्तर से भी तकरीबन 70 फीसदी ज्यादा है। साथ ही अक्टूबर निफ्टी पर प्रीमियम 25 के ऊपर है जो रोलओवर के लिए काफी ज्यादा लागत है।

अगले हफ्ते से रोलओवर शुरू हो जाएगा और संभव है कि बाजार खुद को मंगलवार तक संभाले रखे। लेकिन बुधवार से तगड़े हिचकोले शुरू हो जाएंगे। असल में, कल ही तेज उतार-चढ़ाव का संकेत मिल चुका है और अब ऐसा बार-बार होगा। सेंसेक्स में 250 अंकों का उतार-चढ़ाव सेंकेंडों में आ सकता है। दूसरी वजह जिसके चलते मैं इस महीने निफ्टी पर दांव लगाने को तैयार नहीं हूं, वह है कोल इंडिया। आगे कोल इंडिया के आईपीओ में कम से कम 25,000 करोड़ रुपए सिस्टम से निकल जाएंगे और निश्चित रूप से यह बाजार पर चोट करेगा।

मेरा काम आपको बचाना है और मैं वैसा करने की कोशिश कर रहा हूं। हालांकि मैं यह भी बराबर जानता हूं कि तेजड़िये इस दौरान मंदड़ियों की रातों की नींद हराम किए रखेंगे और हर मौके पर उन्हें धोबियापाट लगाते रहेंगे। यही कारण है कि मैं इस महीने के अंत तक खरीद को बिक्री से संतुलित करने या हेजिंग करने की वकालत कर रहा हूं। अगर निफ्टी गिरकर 5600 तक आ जाता है तो हम फिर से अंधाधुंध खरीद के अपने मौलिक मूड में आ जाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप हेजिंग करते रहें।

तेजी का अगला दौर अक्टूबर में शुरू होगा और इसके केंद्र में होंगे मिड कैप और स्मॉल कैप के स्टॉक। तब देखिएगा कि कैसे वन-टू का फोर होता है।

प्रेस की स्वतंत्रता उसके मालिकानों के लिए ही होती है, बाकी लोग तो अपनी अभिव्यक्ति के दूसरे रास्ते तलाशते रहते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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