जबरदस्त हल्ला था कि अमेरिका के ब्याज दर बढ़ाते ही आसमान टूट पड़ेगा। लेकिन यहां तो अमेरिका ही नहीं, यूरोप व एशिया तक के बाज़ार चहक रहे हैं। सबक यह कि जहां हर हरकत पर नोट बनाए जाते हैं वहां हर खबर और उससे उपजे डर/उल्लास के पीछे निहित स्वार्थ होता है। वित्तीय बाज़ार में निरपेक्ष सत्य जैसा कुछ नहीं होता। इसलिए हमें हर शोर में छिपी हकीकत को समझना होगा। इसीलिए करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…
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