उड़ीसा में एक इंच जमीन को तरसी पॉस्को

केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के ताजा निर्णय से दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पॉस्को की उड़ीसा परियोजना का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। लेकिन उड़ीसा सरकार को विश्वास है कि 52,000 करोड़ रुपए की यह परियोजना किसी न किसी दिन परवान जरूर चढ़ेगी। पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए वन संबंधी मंजूरी को रोक दिया है।

उड़ीसा के इस्पात व उद्योग मंत्री रघुनाथ मोहंती का मानना है कि पॉस्को की यह परियोजना आगे बढ़ेगी। उन्होंने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि पॉस्को पारादीप के पास इकाई लगा पाएगी।’’ उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी इससे पहले कहा था कि उन्हें अब भी भरोसा है कि यह ‘स्वप्निल’ परियोजना अमल में आएगी। लेकिन परियोजना के रास्ते में जिस तरह एक के बाद एक अड़चन आ रही है, उससे ऐसे लोगों की संख्या काफी कम रह गई है, जो पटनायक के इस भरोसे पर विश्वास कर पा रहे हैं।

पॉस्को ने 22 जून, 2005 को राज्य सरकार के साथ इस परियोजना के लिए सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए थे। छह साल बाद भी कंपनी आज तक इस 1.2 करोड़ टन सालाना क्षमता की परियोजना के लिए 4000 एकड़ जमीन की बाट जोह रही है।

पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के अध्यक्ष अभय साहू ने कहा, ‘‘तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार पॉस्को को एक इंच जमीन भी उपलब्ध नहीं करा पाई है। हम अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।’’

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