अच्छे हैं केईसी के अगले 18 महीने

केईसी इंटरनेशनल आरपीजी समूह की करीब 65 साल पुरानी इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन कंपनी है। सचमुच इंटरनेशनल है क्योंकि दुनिया के 45 से ज्यादा देशों से उसे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े ठेके बराबर मिलते रहते हैं। उसके पास उभी 7800 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं जो साल भर पहले की अपेक्षा 42 फीसदी ज्यादा है। कंपनी ने सितंबर 2010 में ही अमेरिका की एसएई टावर्स होल्डिंग्स का अधिग्रहण किया है जिसके चलते उसका लाभ मार्जिन बढ़ गया है। अधिग्रहण के वक्त एसएई टावर्स के पास 580 करोड़ रुपए के ऑर्डर थे। अब मार्च 2011 में उसके पास 892 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं।

कंपनी ने बीते शुक्रवार, 6 मई को अपने सालाना नतीजे घोषित किए थे। इनके मुताबिक उसने वित्त वर्ष 2010-11 में 4474 करोड़ रुपए की आय पर 206 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इन समेकित नतीजों पर गौर करने से पता चलता है कि जहां एसएई टावर्स का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) लगभग 14 फीसदी है, वहीं कंपनी का इकलौते का ओपीएम 9.89 फीसदी पर कमोबेश स्थिर है। कहने का मतलब यह है कि कंपनी अधिग्रहण बड़ा बनने के किसी अहंकार की तुष्टि के लिए नहीं, बल्कि धंधे को ध्यान में रखते हुए करती है।

इस सयम समेकित आधार पर उसका सालाना ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 8.21 रुपए है, जबकि अकेले दम पर 5.71 रुपए है। इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532714) में 80.50 रुपए और एनएसई (कोड – KEC) में 80.10 रुपए पर बंद हुआ है। समेकित ईपीएस को देखें तो यह शेयर 9.7 के पी/ई और अकेले ईपीएस को देखें तो 14.09 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। दोनों ही अनुपात इसे दूरगामी निवेश के लिए अच्छा बता रहे हैं। वैसे भी जानकारों की गणना है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी का ईपीएस 10 रुपए के आसपास रहेगा। उसे ध्यान में रखें तो यह अभी 8 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है।

केईसी इंटरनेशनल के स्टॉक में साल भर में करीब 25 फीसदी बढ़त की गुंजाइश तो बनती ही है। यह शेयर 31 दिसंबर 2010 तक 10 रुपए अंकित मूल्य का हुआ करता था। उसके बाद इसे पांच भागों में बांटकर दो रुपए का किया गया है। लेकिन उसके जनवरी से ही शेयर थोड़ा दबा-दबा चल रहा है। आनुपातिक आधार पर देखें तो दिसंबर 2010 में यह 104.60 रुपए पर था। जनवरी 2011 में 88.85 रुपए पर आ गया। फरवरी 78.25 रुपए पर पहुंच गया। मार्च में तो 70.30 पर साल भर की तलहटी तक गिर गया। अप्रैल में औसत भाव 85.15 रुपए का रहा है।

साफ है कि 80.50 रुपए पर केईसी इंटरनेशनल अपने न्यूनतम स्तर से ज्यादा दूर नहीं गया है। उसे यहीं पर पकड़ लेना चाहिए। कंपनी का बाजार पूंजीकरण अभी 2047 करोड़ रुपए है, जबकि उसकी मौजूदा आय इसकी दोगुनी से ज्यादा 4474 करोड़ रुपए है। यह कंपनी की मूलभूत मजबूती का प्रमाण है।

कंपनी के धंधे का लगभग तीन चौथाई हिस्सा बिजली के ट्रांसमिशन का तंत्र लगाने से आता है। उसके करीब आधे ऑर्डर अमेरिका, अफ्रीका, मध्य-पूर्व व दक्षिण एशिया के देशों से आते हैं। अगले 18 महीने कंपनी की कमाई के लिहाज से काफी अच्छे रहनेवाले हैं। 7800 के ऑर्डर जो उसके पास हैं। लेकिन चिंताएं भी हैं। मार्च 2011 की तिमाही में उसने 32.01 करोड़ रुपए बतौर ब्याज चुकाए हैं। यह साल भर पहले की ब्याज अदायगी 19.37 करोड़ रुपए से 65 फीसदी अधिक है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात अभी 1.5 है जो साल भर पहले 1.1 था। कंपनी के धंधे में कार्यशील पूंजी की जरूरतें भी काफी हैं। हालांकि कंपनी का दावा है कि अग्रिम ऑर्डरों के दम पर वह इस दबाव से निपट लेगी।

कुल मिलाकर धंधा है तो दबाव भी है। लेकिन भावी संभावनाएं भी हैं। कंपनी प्रबंधन दुरुस्त है। लगा हुआ है। शेयर अपनी तलहटी के करीब है। इस स्तर में इसमें निवेश फलदायी हो सकता है। लेकिन कम से कम साल-डेढ़ साल का वक्त इसे देना पड़ेगा। वैसे, दस साल तक भी रखने लायक कंपनी है यह।

कंपनी कुल इक्विटी 51.42 करोड़ रुपए है जो अब दो रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 58.34 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है और बाकी 41.66 फीसदी प्रवर्तकों के पास। पब्लिक के हिस्से में से एफआईआई के पास उसके 4.35 फीसदी शेयर हैं, जबकि डीआईआई (घरेलू निवेशक सस्थाओं) के पास 38.81 फीसदी शेयर हैं। दिसंबर 2010 तिमाही में एफआईआई के पास इससे ज्यादा 5.23 फीसदी और डीआईआई के पास इससे कम 37.89 फीसदी हिस्सेदारी थी। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 74,837 है। बड़े शेयरधारकों में एलआईसी, रिलायंस कैपिटल व एचडीएफसी म्यूचुअल फंड शामिल हैं।

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