मजे से चलती है नंगी शॉर्ट सेलिंग

प्रधानमंत्री ने कह दिया है कि अगर संसद में सामान्य कामकाज की शर्त जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) का गठन है तो वे यह शर्त मानने को तैयार हैं। बाजार के लिए यह अच्छी सूचना है। रिजर्व बैंक ब्याज दरों में वृद्धि का फैसला कल करने जा रहा है। बाजार इसके लिए तैयार है और शेयरों के मूल्य में ब्याज दरों के 0.50 फीसदी बढ़ने का असर गिन लिया गया है। अगर वृद्धि इससे कम होती है तो यह बाजार के लिए सुखद आश्चर्य की बात होगी। लेकिन अगर ब्याज दरों में एकदम वृद्धि नहीं होती, तब तो पक्का समझिए कि तेजड़िये मंदड़ियों को दबोंच डालेंगे।

सीएलएसए ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि रीयल्टी सेक्टर के दुर्दिन अब बीत गए हैं क्योंकि समायोजित आधार पर शेयरों के मूल्य 2008 से भी नीचे चल रहे हैं। इसलिए इसमें और गिरावट की कोई गुंजाइश नहीं बची है। सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने की प्रकिया व्यापक स्तर पर शुरू कर दी है। शुक्रवार अंतिम दिन है जब बजट के महीने के लिए डेरिवेटिव सौदों में पोजिशन खड़ी की जा सकती है।

चूंकि डेरिवेटिव सौदों में अभी तक फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था नहीं है, इसलिए अतियों का खेल खेलनेवाले खिलाड़ी स्टॉक एक्सचेंजों में कुछ भी कर सकते हैं। महज नोटों के दम पर बाजार में कृत्रिम हालात पैदा कर सकते हैं। उनका खेल इस हद तक चलता है कि मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं दिखता कि हमारे बाजार इधर या उधर किसी भी तरफ क्रिकेट मैंचों की तरह फिक्स किए जा सकते हैं। मुश्किल यह है कि इसका सबूत खोज पाना लगभग नामुमकिन है।

किसी को भी यह सच समझने में बहुत लंबा वक्त लगेगा कि दांव पर लगा है 224 कंपनियों का 60 लाख करोड़ रुपए का बाजार पूंजीकरण जो मात्र 36,000 करोड़ रुपए के ओपन इंटरेस्ट से बंधा है और केवल 20 फीसदी मार्जिन देकर कोई भी इस 60 लाख करोड़ रुपए के बाजार को मनमर्जी से नचा सकता है। सेबी ने नैकेड शॉर्ट सेलिंग पर बैन लगा रखा है। नियमतः उधारी पर कहीं से शेयरों का इंतजाम कर लेने के बाद ही कोई शॉर्ट सेल कर सकता है। हकीकत में हमने बाजार में बार-बार नैकेड या नंगी शॉर्ट सेल्स होती हुई देखी हैं। लेकिन कोई भी इसे साबित नहीं कर सकता। क्यों?

सभी एफआईआई अपनी फंड पोजिशन की 100 फीसदी सीमा तक शॉर्ट या लांग हो सकते हैं। इसलिए होता यह है कि वे आमतौर पर एक रुपए में से 60 पैसे लांग होते हैं, 30 पैसे शॉर्ट और तेजी की धारणा हुई तो 10 पैसे नकद बचाकर रख लेते हैं। दूसरी तरफ अगर धारणा मंदी की हुई तो नकद का हिस्सा 40 पैसे हो जाता है। किसी भी स्थिति में कुल रकम एक रूपए से बाहर नहीं जाती। इसलिए रिकॉर्ड में नैकेड शॉर्ट सेल का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन यहीं पेंच है। हालांकि, स्टॉक में 60 पैसे के लांग और निफ्टी में 30 पैसे के शॉर्ट को नैकेड शॉर्ट सेल नहीं माना जा सकता। लेकिन अगर कोई निफ्टी में 50 पैसे शॉर्ट है, स्टॉक में 10 पैसे लांग है और 40 पैसे नकद रखे हुए है तो निश्चित रूप से यह 40 पैसे की नैकेड शॉर्ट सेल का मामला बनता है। मगर इसे साबित करना मुश्किल है क्योंकि यह स्थिति डेरिवेटिव सौदों के सारे आंकड़ों में मिलकर कहीं गुम हो जाती है।

स्टॉक्स और निफ्टी के ओपन इंटरेस्ट का अनुपात बराबर होना चाहिए जिससे स्टॉक्स व निफ्टी दोनों को समान धरातल मिल सके। लेकिन आज के हालात में ऐसा संभव नहीं है क्योंकि इसकी अहम कड़ी है कैश बाजार में सक्रिय सच्चा निवेशक जो फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था न होने के कारण डेरिवेटिव बाजार से गायब है। डेरिवेटव सेगमेंट में खरीदे गए शेयरों को बेचने की वैकल्पिक डिलीवरी का कोई तरीका होना चाहिए जैसा बी ग्रुप में ऑक्शन के जरिए यह सुविधा दी जाती है। तभी जाकर हमारा एफ एंड ओ बाजार स्वस्थ व संतुलित बन सकता है जहां हम बाजार को नियंत्रित करने में घरेलू फंडों की कमजोरी को कैश बाजार में सचमुच की एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) खरीद से पूरा कर सकते हैं।

यह बाजार संचालित मूल्य प्रणाली का असली इम्तिहान है। पिछले पांच सालों में सेंसेक्स और निफ्टी में चार बार ट्रेडिंग रोकनी पड़ी है जिससे स्पष्ट रूप से फिजिकल सेटलमेंट के जरिए कैश बाजार में आर्बिट्राज के अवसरों की कमी साबित होती है। ऐसे आर्बिट्राज से बाजार में गहराई आती है और बाजार के सर्किट से टकरा जाने की गुंजाइश खत्म होती है। यह मेरी व्यक्तिगत राय है। हालांकि पूंजी बाजार नियामक सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों के कर्ताधर्ता यह बात मुझसे बेहतर समझते होंगे।

कोई इंसान तब तक बुद्धिमान बनने की शुरुआत नहीं कर पाता जब तक उसे लगता है कि वह अपरिहार्य है और उसके बिना काम नहीं चल सकता।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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