चलोगे तो खिलोगे

जो स्थिर है, बैठा है, चलता नहीं, वह गलता है। जो गतिशील है, चलता है, वही दोषों से मुक्ति पाकर शुद्ध व समर्थ बनता है। उपनिषद तक यही कहते हैं। इसलिए ठहरने का बहाना नहीं, चलने की राह खोजनी चाहिए।

1 Comment

  1. चलते रहो सुबह शाम।

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