परदेशियों का आधे से ज्यादा धन गांवों को

विदेश कमाने गए भारतीयों द्वारा भेजा जाने वाला आधे से ज्यादा धन देश के ग्रामीण इलाकों को जाता है जो वहां आर्थिक बदलाव और वित्तीय समावेश में योगदान करता है। मनी ट्रांसफर की सेवाएं देनेवाली फर्म वेस्टर्न यूनियन के प्रबंध निदेशक अनिल कपूर के मुताबिक बीते एक दशक में वेस्टर्न यूनियन व इंडिया पोस्ट के जरिए 6.5 अरब डॉलर का धन भारत आया। उनका कहना है कि कंपनी के 55 फीसदी केंद्र अर्ध-शहरी या ग्रामीण इलाकों में है जिसका मतलब है कि अधिकांश धन गांवों में आ रहा है।

सिंह ने कहा कि रेमिटेंस सेवा (विदेश से देश में धन भेजने की सेवा) के चलते ग्रामीण डाकघरों से जुड़ते हैं और यह प्रक्रिया एक तरह से वित्तीय समावेश में भी सार्थक भूमिका अदा करती है। विदेश से मनी-ऑर्डर प्राप्त करने के मामले में भारत एक प्रमुख देश है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2010 में 55 अरब अमेरिकी डॉलर धन विदेशों में काम करने वाले भारतीयों ने स्वदेश भेजा। यह राशि चीन या अमेरिका सहित तमाम देशों को इस माध्यम से मिलनेवाले विदेशी धन से कहीं अधिक है।

वेस्टर्न यूनियन और भारतीय डाक विभाग (इंडिया पोस्ट) ने रेमिटेंस सेवाओं के लिए दस साल पहले गठजोड़ किया था। यह गठजोड़ इस समय देश के 7000 से अधिक केंद्रों के जरिए सेवा दे रहा है और अपनी तरह का सबसे बड़ा नेटवर्क है। नौकरी आदि के लिए विदेश गए लोग अपने घर धन भेजने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं जिनमें मनी ट्रांसफर प्रमुख है और यह धीरे धीरे बड़ा कारोबार बनता जा रहा है।

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