मॉरीशस के हल्ले ने निकाला दिवाला

सुबह बाजार खुलने पर धीमी गिरावट चल रही थी कि दस बजे के आसपास एक बिजनेस चैनल ने खबर चला दी कि सरकार मॉरीशस से साथ टैक्स-संधि पर पुनर्विचार कर रही है और मॉरीशस से भारत में हुए निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाया जा सकता है। फिर क्या था! बाजार खटाक से 3 फीसदी नीचे गिर गया। खबर आते ही तमाम शेयरों पर हमला शुरू हो गया भले ही उनमें मॉरीशस के जरिए आया धन लगा हो या न लगा हो। शुरूआत जीटीएल से हुई और फिर के एस ऑयल भी लपेटे में आ गया। जीटीएल लिमिटेड 63.48 फीसदी और जीटीएल इंफ्रा 46.97 फीसदी लुढक गए, जबकि के एस ऑयल 31.54 फीसदी गिर गया। किसी शेयर एक दिन में ऐसी गिरावट बड़ी अनहोनी पर ही होती है।

सेंसेक्स भी 17,770 का पिछला न्यूनतम स्तर तोड़कर 17,314 पर चला गया। ट्रेडरों से शॉर्ट करना शुरू कर दिया। इस बीच ऐसी अफवाहें भी उठाई गईं कि दुनिया के बड़े-बड़े फंड व्यापक स्तर पर भारत से अपना निवेश निकाल रहे हैं। हालांकि इसका कोई आधार नहीं नजर आता। बाजार धड़ाम हो चुका है और निफ्टी ने 5195.90 की नई तलहटी बना ली है।

सुबह-सुबह लगा, जैसे बाजार में कोई तूफान आ गया हो जिसने सब कुछ तहस-नहस कर डाला। अब पुनर्निर्माण का काम शुरू होना है। ट्रेडरों की जो हालत है, उसमें वे निश्चित तौर पर कुछ और खरीद नहीं कर सकते क्योंकि अभी तो वे मार्जिन और मार्क टू मार्केट चुकाने के संकट से जूझ रहे हैं। ब्रोकरों ने भी खरीद का विकल्प बंद कर दिया है। उन्होंने केवल सौदे काटने का निर्देश दे रखा है।

अगर डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट रहता तो बहुत से मजबूत हाथ कैश बाजार में खरीद के लिए आगे आ गए होते क्योंकि इस तरह खरीदे गए शेयरों का वे वैकल्पिक इस्तेमाल कर सकते थे। अगर आज वे कैश में खरीद रहे हैं तो भाव बढ़ने पर फिर बेचने के लिए आगे आते और इस तरह आपूर्ति का स्वतंत्र प्रवाह बराबर बना रहता।

खैर, सरकार की तरफ से वित्त सचिव सुनील मित्रा ने स्पष्ट किया है कि मॉरीशस ने कर-सबंधी संधि पर तीन पहले विचार करने की पेशकश की थी। अगले महीने शायद इस बात होगी। कैपिटल गेन्स टैक्स की स्थिति में किसी तब्दीली का प्रस्ताव नहीं हैं। बाजार को घबराने की जरूरत नहीं है। बाजार इसके बाद सुधरा जरूर, लेकिन खास नहीं। सेंसेक्स 1.99 फीसदी की गिरावट के साथ 17514.70 और निफ्टी 1.92 फीसदी की गिरावट के साथ 5263.45 पर बंद हुआ है।

लेकिन बेहद अचंभे की बात है जो बात बाजार और बाजार के कारोबारी सालोंसाल से जानते रहे हैं, उस पर जबरदस्ती सनसनी फैलाकर बाजार में अफरातफरी मचा दी गई। बाजार को तोड़ डाला गया। क्या पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को इस तरह बाजार को तोड़ने की कोशिशों की जांच नहीं करनी चाहिए? पता लगाया गया है कि इस मरी हुई खबर को किसने और क्यों जिंदा किया और अफवाहें फैलाने में कौन-कौन लोग आगे रहे।

वैसे, अच्छी बात यह है कि यह हंगामा सोमवार की सुबह बरपाया गया और बाजार आज नया न्यूनतम स्तर बना गया। यह उन सभी लोगों के लिए मददगार होगा जो खरीदने के लिए टेक्निकल चार्टों का सहारा लेते हैं। लेकिन असली सवाल तो यही है कि कितने लोग अब खरीदने की हालत में रह जाएंगे?

इंसान की मुक्ति का सर्वोत्तम साधन यही है कि वह जो भी करे, डूबकर करे। यह किसी भी साधना से ज्यादा बड़ी साधना है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

1 Comment

  1. Chanakya has been considered as the pioneer of the field of economics and political science.In the Western world, he has been referred to as The Indian Machiavelli, i think manmohan singh and his team (pranab da )and rbi governer should go ” back to basic ” and should take some lesson from Kautilya (chanakya’s ) arthshastra .

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