उड़ीसा के जगतसिंह पुर जिले में दक्षिण कोरियाई कंपनी पोस्को की प्रस्तावित इस्पात परियोजना का हश्र पश्चिम बंगाल में टाटा की सिंगूर परियोजना जैसा होता दिखाई दे रहा है। अपनी भूमि दे चुके किसानों को उचित मुआवजा देने और अन्य शर्तो को पूरा करने की मांग पर अड़े स्थानीय निवासियों ने सड़क व रेलमार्ग रोक दिया है। इससे मंगलवार को तीसरे दिन भी पोस्को परियोजना का काम-काज बंद रहा।
उधर कोलकाता से मिली खबर के अनुसार माओवादियों ने पॉस्को संयंत्र विरोधी अभियान का समर्थन कर दिया है और कहा है कि राज्य व केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के नियमों को ताक पर रख दिया है।
माओवादियों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उड़ीसा के लोगों की प्रशंसा करती है जो 52,000 करोड़ रुपए के इस विशाल प्रत्यक्ष निवेश को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पार्टी इस अभियान को अपना पूरा समर्थन देती है।’’ पार्टी का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार ने 65 फीसदी से ज्यादा ग्रामीणों के उस प्रस्ताव का अनादर किया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी भूमि देने का विरोध किया था।
पोस्को परियोजना में पड़नेवाले इलाके कुजंग के तहसीलदार वासुदेव प्रधान ने आंदोलन की ताजा स्थिति के बारे में कहा, ‘‘लोगों ने बालिसाही के नजदीक सड़क मार्ग बंद कर दिया जिससे पुनर्वास कालोनी के काम-काज को आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया।’’ तहसीलदार ने कहा ‘‘हम मामले को देख रहे हैं।’’ पोस्को की प्रस्तावित इस्पात परियोजना के करीब बालिसाही जंक्शन नुआगांव और धिनकिया पंचायत का मुख्य मार्ग है।
सूत्रों ने बताया कि सड़क मार्ग बंद रहने के कारण सशस्त्र पुलिस दल आगे नहीं बढ़ सका और अभी नुआगांव के महाबीर पीठ में रुका है। यह स्थान बालिसाही से करीब चार किमी दूर है।