मनमोहन शेट्टी पर एडलैब्स में इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए एक करोड़ का जुर्माना

अर्धसत्य, चक्र, अपहरण, आघात और हजार चौरासी की मां जैसी चर्चित फिल्मों के जानेमाने प्रोड्यूसर मनमोहन शेट्टी पर पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने एडलैब्स के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया है। मामला अप्रैल 2006 का है जब मनमोहन शेट्टी ही एडलैब्स के मालिक व प्रबंध निदेशक निदेशक थे। इसके बाद साल 2005 में अनिल धीरूभाई अबानी समूह एडलैब्स को खरीद चुका है और अब इसका नाम रिलायंस मीडियावर्क्स हो गया है। शेट्टी अब इस कंपनी से बाहर हो चुके हैं।

हुआ यह था कि 23 अप्रैल 2006 को एडलैब्स के निदेशक बोर्ड की बैठक हुई जिसमें वित्त वर्ष 2005-06 के लिए 45 फीसदी लाभांश देने, एफ रेडियो बिजनेस को कंपनी से अलग करने और कंपनी की दो सहायक इकाइयों – इंटरटेनमेंट वन इंडिया और मुक्ता एडलैब्स डिजिटल एक्जिबिशंस का कंपनी में ही विलय करने का फैसला लिया गया। उस दिन रविवार था। अगले दिन 24 अप्रैल 2006 को एनएसई व बीएसई की वेबसाइट पर इन फैसलों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद ही मनमोहन शेट्टी ने एडलैब्स के 10 लाख शेयर बीएसई में 402.60 रुपए के भाव पर बेच दिए। इसके अगले दिन शेयर के भाव गिरकर 363.93 रुपए पर आ गए।

सेबी का आरोप है कि मनमोहन शेट्टी ने कंपनी की अंदरूनी सूचना के सार्वजनिक होने के 24 घंटे के भीतर शेयर बेचे हैं। इसलिए वे इनसाइडर ट्रेडिंग के दोषी हैं। सेबी ने इस मामले की जांच 27 दिसंबर 2007 को शुरू की और मनमोहन शेट्टी को पहला कारण बताओ नोटिस 21 फरवरी 2008 को जारी किया गया। पहला नोटिस निर्धारित पते से लौट आया तो दूसरा नोटिस 13 मार्च 2008 को जारी किया गया। इसके जवाब में शेट्टी की तरफ से कहा गया कि शेयरों की बिक्री सूचना सार्वजनिक होने के बाद की गई है और इसके पीछे कोई गलत मंशा नहीं थी।

इसके बाद सवाल-जवाब के कई दौर चले जिसमें मनमोहन शेट्टी ने कहा कि 24 घंटे का कोई नियम नहीं है और वैसे भी सूचना कई अखबारों व टीवी चैनलों पर 23 अप्रैल 2006 को ही प्रसारित हो गई थी। सेबी ने यह भी कहा कि नियमतः महत्वपूर्ण सूचना के सार्वजनिक होने के 24 घंटे बाद तक कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग बंद रहनी चाहिए। शेट्टी का कहना था कि उन्हें यह पता नहीं था और कंपनी ने ट्रेडिंग विंडो बंद रहने की जानकारी उन्हें नहीं दी थी। इस पर सेबी का कहना था कि मनमोहन शेट्टी खुद कंपनी के प्रबंध निदेशक थे, इसलिए यह कहना सरासर गलत है कि उन्हें जानकारी नहीं थी या कंपनी ने उऩ्हें सूचित नहीं किया था।

मनमोहन शेट्टी को उनके वकील के साथ सेबी के अधिकारियों से मिलने का आखिरी मौका 6 फरवरी 2010 को दिया गया। इसमें हर आरोप का लिखित जवाब सभी कानूनी नुक्तों के साथ शेट्टी की तरफ से पेश किया गया। लेकिन सेबी के न्यायिक अधिकारी पी के बिंदलिश ने सारी तहकीकात के बाद पाया है कि आरोपी ने 23 अप्रैल 2006 मीडिया में कंपनी के फैसले प्रसारित होने का कोई साक्ष्य नहीं पेश किया है और नियमों को अपनी तरह से तोड़-मोड़ कर पेश किया है। सेबी के अधिकारी का कहना है कि मनमोहन शेट्टी ने एडलैब्स के 10 लाख शेयरों को बेचकर 89.70 लाख रुपए का गलत फायदा कमाया है क्योंकि 24 अप्रैल 2006 को उनके सौदे के भाव और अगले दिन बीएसई में शेयर के औसत भाव का अंतर 8.97 रुपए है।

सेबी का यह भी कहना है कि चूंकि मनमोहन शेट्टी ने कंपनी के प्रबंध निदेशक पद पर होते हुए यह काम किया है, इसलिए उनका अपराध और बड़ा हो जाता है। सारे तथ्यों के मद्देनजर सेबी के न्यायिक अधिकारी पी के बिंदलिश ने बुधवार 9 जून 2010 को मनमोहन शेट्टी पर एक करोड़ रुपए का अर्थदंड लगा दिया। शेट्टी को यह रकम आदेश मिलने के 45 दिन के भीतर सेबी के पास डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) के जरिए जमा करा देनी है। यह डीडी ‘SEBI – Penalties Remittable to Government of India’ के नाम से बनाया जाना है और यह मुंबई में देय होगा।

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