जयश्री टी: 30 दिन में 9%, 99 रुपए

जयश्री टी एंड इंडस्ट्रीज़ के दिसंबर तिमाही के नतीजे बड़े खराब रहे हैं। चाय और चीनी के दोनों ही धंधों में उसका मुनाफा घटा है। चाय सेगमेंट से बिक्री साल भर पहले की समान तिमाही से मात्र 5.7 फीसदी बढ़कर 104.93 करोड़ से 110.91 करोड़ रुपए हुई, पर यहां से हुआ शुद्ध लाभ 22.6 करोड़ से घटकर 9.33 करोड़ रुपए पर आ गया। चीनी में कंपनी ने देरी से पेराई शुरू की तो इस सेगमेंट की बिक्री सितंबर 2011 की तिमाही के 54.07 करोड़ रुपए से सीधे 26.98 करोड़ रुपए पर आ गई। हालांकि घाटा 4.73 करोड़ रुपए से घटकर 1.17 करोड़ रुपए पर आ गया। केमिकल व फर्टिलाइजर सेगमेंट में भी बिक्री तो 21.98 करोड़ से बढ़कर 28.53 करोड़ रुपए हो गई। पर शुद्ध लाभ 1.77 करोड़ से घटकर 1.08 करोड़ रुपए पर आ गया।

कुल मिलाकर कंपनी की बिक्री दिसंबर तिमाही में साल भर पहले की अपेक्षा 31.50 फीसदी बढ़कर 126.89 करोड़ से 166.86 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। लेकिन शुद्ध लाभ 96.72 फीसदी घटकर 19.79 करोड़ रुपए से महज 65 लाख रुपए पर आ गया। ऐसे में उसके शेयर का गिरना लाजिमी था। वह भी तब, जब सितंबर तिमाही में भी कंपनी का लाभ 33.05 फीसदी घटा हो। 24 जनवरी को नतीजों की घोषणा के एक दिन पहले यह शेयर 111.25 रुपए पर था। अगले दिन खटाक से 8.72 फीसदी घटकर 101.55 रुपए पर आ गया। उसके बाद गिरावट का क्रम जारी है। कल भी इसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 509715) में 1.36 फीसदी गिरकर 90.55 रुपए और एनएसई (कोड – JAYSREETEA) में 1.15 फीसदी घटकर 90.65 रुपए पर बंद हुआ है।

हालांकि कंपनी ने अब अपनी इनवेंटरी का मूल्य आंकने की पद्धति बदल ली है। इससे दिसंबर तिमाही में तो उसकी परिचालन लागत बढ़ गई। लेकिन मार्च तिमाही में उसका नुकसान कम हो सकता है। मगर जिस तरह से इसका सकल लाभ मार्जिन 19.7 फीसदी से घटकर 5.1 फीसदी पर आया है, उसे देखते हुए हम किसी को इस कंपनी में लंबे समय के लिए निवेश की सलाह देना वाजिब नहीं समझते। यह अलग बात है कि यह बी के बिड़ला समूह की 1945 में बनी कंपनी है और दुनिया में चाय की तीसरी सबसे बड़ी उत्पादक है।

यह भी सच है कि कंपनी का स्टैंड-एलोन आधार पर ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 8.99 रुपए है और उसका शेयर 10.07 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसका शेयर भाव 90.55 रुपए है, जबकि इसकी बुक वैल्यू ही 123.32 रुपए है। जो लोग जोखिम उठाना चाहते हैं और जिन्हें बिड़ला समूह की प्रबंधकीय विरासत व श्रेष्ठता पर यकीन है, वे जरूर इसमें निवेश कर सकते हैं, पांच-दस साल इंतज़ार कर सकते हैं। लेकिन मेरी ऐसी कोई धारणा कहीं से भी नहीं है।

हां, बाजार सूत्रों के मुताबिक मुझे यह पता चला कि यह शेयर 30 दिन में 99 रुपए तक जा सकता है। यानी, महीने भर में इसमें करीब 10 फीसदी पाने की गुंजाइश है। यह मेरा शॉर्ट टर्म नजरिया है। जो लोग इतने से संतुष्ट हैं, वे इसे महीने भर के लिए खरीद सकते हैं। 10 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स काटने पर उनका रिटर्न 9 फीसदी आएगा जो एफडी के साल भर के ब्याज के बराबर है।

यह स्मॉल कैप कंपनी है। इसकी कुल 14.44 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 54.15 फीसदी और पब्लिक का हिस्सा 45.85 फीसदी है। प्रवर्तकों ने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। पब्लिक की श्रेणी में एफआईआई के पास 8.69 फीसदी और डीआईआई के पास 2.80 फीसदी शेयर हैं। दोनों ही संस्थागत निवेशकों ने बीती तिमाही में कंपनी में अपना निवेश घटाया है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 20,860 है। इसमें से 19,665 (94.2 फीसदी) एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के 18.73 फीसदी शेयर हैं। अच्छी बात है। अच्छी बात यह भी है कि कंपनी 2007 से लगातार हर साल लाभांश देती रही है। बीते साल लाभांश की दर पांच रुपए पर तीन रुपए यानी 60 फीसदी थी। इसके पिछले साल कंपनी ने 6 रुपए प्रति शेयर का लाभांश दिया था। लेकिन तब शेयर का अंकित मूल्य दस रुपए था। मतलब लाभाश की दर 60 फीसदी ही थी।

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