मिल लॉबी जुटी चीनी निर्यात की मुहिम में

निजी चीनी मिलों की लॉबी सरकार से निर्यात की इजाजत लेने की मुहिम में जुट गई है। बुधवार को निजी चीनी मिलों के संगठन इस्मा (इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष विवेक सरावगी और महानिदेशक अविनाश वर्मा ने अलग-अलग समाचार एजेंसियों के जरिए दावा किया कि भारत आराम से इस साल 20 लाख टन चीनी का निर्यात कर सकता है और ऐसा न करने से दुनिया में चीनी के दामों में आग लगी रहेगी।

इस्मा के अध्यक्ष और बलरामपुर चीनी मिल्स के प्रबंध निदेशक विवेक सरावगी ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार जल्दी ही चीनी के अबाध निर्यात की इजाजत दे सकती है। इससे भारत के निर्यात की जा सकने वाली अतिरिक्त चीनी की मात्रा को लेकर विश्व बाजार में छाई अनिश्चितता खत्म हो जाएगी और चीनी के न्यूयॉर्क फ्यूचर्स मूल्य 30 साल के उच्चतम स्तर से नीचे आ जाएंगे। बता दें कि भारत दुनिया में ब्राजील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

सरावगी का कहना है कि सरकार जल्दी ही चीनी का निर्यात खोल सकती है और हो सकता है कि ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 20 लाख टन चीनी के निर्यात की इजाजत दे दी जाए। ओजीएल में निर्यात पर किसी तरह की बंदिश नहीं रहती। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान, इंडोनेशिया और रूस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विश्व बाजार भारत की ओर देख रहा है क्योंकि ब्राजील में खराब मौसम के चलते इस बार चीनी का उत्पादन कम रहने का अनुमान है।

सरावगी के मुताबिक इस साल देश में चीनी उत्पादन को लेकर कोई चिंता नहीं है और हमारे पास 20 लाख चीनी निर्यात के लिए उपलब्ध रहेगी। 2009-10 में चीनी का उत्पादन 188 लाख टन रहा था। चीनी का उत्पादन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक होता है। चालू वर्ष 2010-11 में चीनी का उत्पादन 255 लाख टन रहने का अनुमान है।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने भी दावा किया है कि 20 लाख टन चीनी तो भारत निर्यात ही कर सकता है। यह देश की 10 लाख टन चीनी निर्यात करने की प्रतिबद्धता से ऊपर है। उनका कहना है कि पिछले सीजन से 50 लाख टन चीनी बची हुई है। इस बार के 255 लाख टन अनुमानित उत्पादन में यह मात्रा जोड़ दें तो देश में चीनी की उपलब्धता 305 लाख टन हो जाएगी। हमारी सालाना मांग 230 लाख टन की है और 40 लाख टन का क्लोजिंग स्टॉक रखना पड़ता है। इस तरह हमारे पास इस बार 35 लाख टन चीनी बची रहेगी। बता दें कि खाद्य मंत्री शरद पवार चीनी मिलों के पक्षधर हैं। इसलिए हो सकता है कि चीनी निर्यात की इजाजत वाकई कुछ दिनों में दे दी जाए।

इसी उम्मीद में बुधवार को कई चीनी कंपनियों के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। श्री रेणुका शुगर्स 3.89 फीसदी, बजाज हिंदुस्तान 1.86 फीसदी, बलरामपुर चीनी मिल्स 2.17 फीसदी, ईआईडी पैरी 2.82 फीसदी और धामपुर शुगर मिल्स के शेयर में 3.27 फीसदी बढ़कर बंद हुए हैं।

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