डूबना और निकलना

जब तक हम किसी चीज में डूबे हैं, तभी तक उससे आक्रांत हैं। बाहर निकलते ही लगता है कि इस कदर परेशान होना गलत था। लेकिन सृजन के लिए डूबना ही पड़ता है तो समझ के लिए निकलना भी पड़ता है।

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