जेवरात हो या पर्स: जरूर दें बीमा सुरक्षा

क्या आपने अपने जेवरातों का बीमा करवाया है? यदि आपका जवाब न में है तो आप देर मत कीजिए। आपके कीमती जेवरात हों या आपका पर्स उनको बीमा सुरक्षा देना बहुत जरूरी है। आज के समय में चोरी व लूट के साथ पॉकेटमारी की घटनाएं इस कदर बढ़ गई हैं कि हमेशा चिंता बनी रहती है कि अपनी मूल्यवान वस्तुओं को कैसे सुरक्षित रखा जाए? इसका सबसे सरल तरीका है कि जेवरातों का बीमा करवा लीजिए। यह एकदम सरल प्रक्रिया है।

आपके पर्स का भी बीमा: अब आपको अपने खोए हुए पर्स की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इनके बीमे की भी व्यवस्था निजी बीमा कंपनियों की ओर से की जा रही है। इस इंतजाम रूपी पॉलिसी के तहत आपकी कार या घर से खो गए पर्स की सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी।

परचेज प्रोटेक्शन पॉलिसी: आपके पर्स का बीमा दरअसल परचेज प्रोटेक्शन पॉलिसी के तहत किया जाएगा। बता दें कि विदेश में इस तरह की बीमा पॉलिसी पहले से ही मौजूद है। पर ध्यान रहे कि बीमा कवर पर्स की कीमत, निजी कागजातों व पर्स में रखे क्रेडिट या डेबिट कार्डों की भरपाई ही करेगा। इसकी रकम की नहीं।

विभिन्न पॉलिसियां: जीआईसी अर्थात जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की चारों अनुषंगी कंपनियों – न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस व यूनाइटेड इंश्योरेंस की विभिन्न बीमा पॉलिसियों के तहत जेवरातों का बीमा कराने की सुविधा कंपनियों द्वारा मुहैया करवाई जाती है।

प्रीमियम पर 20 फीसदी की छूट: बीमा कंपनी की पॉलिसी के तहत अगर घर व घर से संबंधित विभिन्न वस्तुओं की अलग-अलग बीमा पॉलिसी के स्थान पर एक ही पॉलिसी ली जाए तो इंश्योरेंस के प्रीमियम की राशि पर २० फीसदी की छूट मिलती है और सबसे खास बात यह है कि इस पॉलिसी में अधिकतम या न्यूनतम राशि की कोई सीमा नहीं है।

बीमाधारक की आर्थिक स्थिति की सीमा नहीं: एक और बात यह है कि इस पॉलिसी के तहत बीमाधारक की आर्थिक स्थिति की भी कोई सीमा नहीं है। जो भी इसकी निर्धारित प्रीमियम राशि चुका सकता है वह बीमा करा सकता है। बीमा कंपनियों की हाउस होल्डर इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में अमूमन 20 से 35 फीसदी राशि जेवरातों की ही होती है।

दस रुपए प्रति हजार: इस पॉलिसी में 10 रुपए प्रति हजार के हिसाब से प्रीमियम का भुगतान करना होता है। हाउस होल्डर्स पॉलिसी लेने के पश्चात जेवरातों, इलेक्ट्रानिक चीजों व अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी के बिलों को संभाल कर रखना होता है। यदि आपके जेवरातों की चोरी हो जाए या फिर वे गुम हो जाएं तो आप बीमा कंपनी के पास क्लेम कर सकते हैं।

क्लेम प्रक्रिया: जेवरातों के चोरी या गायब हो जाने के बारे में सबसे पहले स्थानीय पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाएं। इसके बाद तुरंत उस बीमा कंपनी को सूचित करें जिससे आपने बीमा पॉलिसी ली है। इसके साथ ही क्लेम फार्म विधिवत भर कर बीमा कंपनी में जमा कर दें। जेवरातों  की खरीदारी के बिलों व रसीदों को जोड़ें व इनकी कीमत का उल्लेख क्लेम के समय करें।

विश्वास पर आधारित: एक बात का ध्यान रखें कि बीमा कंपनियां आपके विश्वास पर बीमा करती हैं। क्लेम फार्म मिलने के बाद बीमा कंपनी का सर्वेयर मामले की छानबीन करता है। इसके बाद ही बीमा कंपनी क्लेम सैटल करती हैं। खास बात यह है कि इस क्लेम के रूप में आपको आपके जेवरातों की पूरी कीमत नहीं मिलती और इस बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आयकर में छूट का भी प्रावधान नहीं है।

राजेश विक्रांत (लेखक एक बीमा प्रोफेशनल हैं)

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