मुद्रास्फीति घटी तो सही, लेकिन उम्मीद से कम

बाजार व विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि नवंबर में मुद्रास्फीति की दर 9.04 फीसदी रहेगी। कुछ लोग तो इसके 8.4 फीसदी तक आने का कयास लगा रहे थे। लेकिन इसका असल आंकड़ा 9.11 फीसदी का निकला है। इसे देखते हुए अब नहीं लगता कि शुक्रवार को रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई कमी करेगा। रिजर्व बैंक शुक्रवार, 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजे मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा पेश करनेवाला है।

शुक्र है कि यह पिछले महीने से थोड़ी कम है। अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति की दर 9.73 फीसदी रही थी। इस बार प्याज, आलू और दूध जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी से मुद्रास्फीति थोड़ी नीचे आई है।

सकल मुद्रास्फीति की दर एक साल पहले नवंबर 2010 में 8.2 फीसदी पर थी। औद्योगिक उत्पादन और रुपए में भारी गिरावट के निराशाजनक आर्थिक माहौल के बीच मुद्रास्फीति में गिरावट ने कोई खास राहत नहीं पहुंचाई।

औद्योगिक उत्पादन में अक्‍टूबर के दौरान 5.1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई जबकि रुपया डालर के मुकाबले गिरकर 53 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने लिए मार्च 2010 से लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है, लेकिन पिछली समीक्षा में उसने संकेत दिया था कि वह दिसंबर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा।

इस बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने उम्मीद जताई है कि खाद्य मुद्रास्फीति महीने भर में घटकर तीन फीसदी से नीचे जा सकती है। बसु ने कहा, “मुझे खाद्य मुद्रास्फीति के महीने भर में घटकर 3 फीसदी से नीचे आने की अपेक्षा है।” उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुद्रास्फीति को घटाने के उपाय सुझाने के लिए बसु की अध्यक्षता में ही एक समिति गठित की थी। खाद्य मुद्रास्फीति 22 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में 12.21 फीसदी की ऊंचाई को छू गई थी। पिछले कई हफ्तों में इसमें गिरावट आ रही है और 26 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 6.6 फीसदी रही है।

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