मूडीज़ का मूड बदलने में जुटा वित्त मंत्रालय ताकि बढ़ाई जा सके रेटिंग

सरकार अंतरराष्ट्रीय एजेंसी मूडीज़ को पटाने में जुट गई है कि वह भारत की संप्रभु रेटिंग बढ़ा दे या न भी बढ़ाए तो उसे कम से कम घटाए नहीं। इस सिलसिले में राजधानी दिल्ली में वित्त मंत्रालय के कई बड़े अधिकारी सोमवार को मूडीज़ इनवेस्टर सर्विस की टीम से मिले। मुलाकात व प्रजेंटेशन का क्रम मंगलवार को भी जारी रहेगा।

हालांकि मूडीज़ का कहना कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलना एक रूटीन का हिस्सा है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार इसे विशेष अहमियत दे रही है क्योंकि जिस तरह मूडीज ने हाल में भारतीय बैंकिंग उद्योग को डाउनग्रेड किया है, उससे सरकार चिंतित हो गई है। बता दें कि इस समय मूडीज ने भारत को बीएए3 (Baa3) की रेटिंग दे रखी है। यह निवेश ग्रेड की न्यूनतम रेटिंग है।

सोमवार को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग के अधिकारी मूडीज के प्रतिनिधियों से मिले। सूत्रों के मुताबिक उनका कहना था कि बीएए3 की रेटिंग वाले देशों की तुलना में भारत ने कई मानकों पर बेहतर कामकाज किया है। इसलिए इसकी रेटिंग अब बढ़ा दी जानी चाहिए। वहीं, मूडीज़ ने चिता जताई है कि भारत इस साल राजकोषीय लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा और जीडीपी के 4.6 फीसदी के बजाय राजकोषीय घाटा कम से कम 5 फीसदी रह सकता है।

मंगलवार को वित्तीय सेवाओं के विभाग के अधिकारी भी मूडीज के लोगों से मिलेंगे और उन्हें यकीन दिलाने की कोशिश करेंगे कि भारत की संप्रभु रेटिंग क्यों बढ़ा दी जानी चाहिए। सोमवार के प्रजेंटेशन में आर्थिक मामलात विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि भारत के बाह्य ऋण व जीडीपी का अनुपात कम है, विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा है, बाहरी ऋण का ऋण-सेवा अनुपात कम है, घरेलू पूंजी बाजार मजबूत है और देश का घरेलू ऋण विविध स्रोतों से लिया गया है, आदि-इत्यादि।

अगर मूडीज़ भारत की संप्रभु रेटिंग बढ़ा देती है तो देश को कम ब्याज पर कर्ज मिल सकता है। देश पर जून 2011 के अंत तक 317 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था। मार्च 2011 के अंत में इसकी मात्रा 306 अरब डॉलर थी। मूडीज़ को सबसे बड़ा एतराज यही है कि भारत इस साल राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.6 फीसदी तक सीमित नहीं रख पाएगा। इसकी एक खास वजह है कि उसका 40,000 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य किसी भी सूरत में पूरा होने के आसार नहीं हैं।

सरकार मूडीज़ को खुश करने के लिए कह रही है कि वह आर्थिक सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध है। पेट्रोल के मूल्यों से नियंत्रण हटाया जा चुका है। मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी कभी भी दे दी जाएगी। विदेशी उधार के नियम ढीले किए जा रहे हैं और भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत कई लंबित विधेयक संसद में पेश किए जाने की कतार में हैं, वगैरह-वगैरह। देखिए, इन बातों से मूडीज़ का मूड बदलता है या नहीं। वैसे, मूडीज़ के एक वरिष्ठ एनालिस्ट का कहना है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलना हर साल का रूटीन काम है। एजेंसी के लोग हर साल हर देश के सरकारी प्रतिनिधियों से मिलते हैं। इसलिए इसमें बहुत ज्यादा अर्थ नहीं तलाशा जाना चाहिए। (रॉयटर्स)

1 Comment

  1. SIRJI, YE KYA AAP NE LIKHA HE, MOODIES AAB HAMARE DESH KA BHAVISYA BATAYE GE OR HAMARE DESH KE NETA UNKO CHAMCHAGIRI KARE GE, KYU HAMARE DESH KE NETA LOG PETROL KE PRICE DOWN NAHI KARTE, KYU APNE DESH KE NETA APNA KHARCH KAM NAHI KARTE, WO APNE PAISE SE APNA SECURITY KARWAYE, TAB DESH KA HAL HOGA , INDIA KE JYADA PAISE DESH KE NETA KE PICHE SECURITY ME LAG JATA HE, UNKA CAR KA EXPENSE, SECURITY GARD OR KHANA PINA OR TRAVELLING KAM KARDE DESH KA BAHOT KHUCH HAL HO JAYE GA, KYA MENE SAHI KAHA NE SIRJI,???????????

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