अगले दस सालों में सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 25 फीसदी पर पहुंचा देंगी और दस करोड़ रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति के इस उद्देश्य को बड़े जोर-शोर से पेश किया है। वे मंगलवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम के 91वें सालाना सम्मेलन में बोल रहे थे।
बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार इस समय जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग व खनन क्षेत्र का योगदान 17.45 फीसदी है, जबकि कृषि, वन व मत्स्य क्षेत्र का योगदान 13.92 फीसदी रह गया है। वित्त वर्ष 2011-12 के त्वरित अनुमानों के मुताबिक हमारा जीडीपी इस साल 52,22,027 करोड़ रुपए रहेगा। इसमें मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान 8,04,256 करोड़, खनन का 1,07,029 करोड़ और कृषि व संबंधित क्षेत्रों का अनुमानित योगदान 7,27,161 करोड़ रुपए रहेगा।
वित्त मंत्री मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति के अंतर्गत देश भर में नए निवेश व मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र बनाने को प्रोत्साहित किया जाएगा। इन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्याओं को सुलझा लिया जाएगा, विश्वस्तरीय शहरी केंद्र बनाए जाएंगे और अतिरिक्त श्रमशक्ति को लाभप्रद रोज़गार दिया जाएगा। सरकार इससे लिए हर जरूरी उपाय करने में जुट गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद समाज में हर तरह की विषमता को कम करना और अंततः खत्म करना है। इस उद्देश्य को पाने के लिए विकास की पर्याप्त गति बनाना आवश्यक है। गरीबी को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए समावेशी विकास की आवश्यकता है जो समाज के सभी वर्गों के लोगों के योगदान से होगा और गरीब इस आर्थिक विकास से लाभान्वित होंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में जब प्रमुख विकसित देश संकट के दौर से गुजर रहे हैं, तब उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं सहित विश्व के किसी भी भाग में विकास की गारंटी नहीं दी जा सकती। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक संकट के नये दौर का मुकाबला करने के लिए बहुत हद तक अनेक देशों से बेहतर स्थिति में है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का अधिकांश जीडीपी घरेलू मांग पर आधारित है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि एक जनवरी 2012 को प्रत्यक्ष निवेश योजना की घोषणा की गई थी जिसके अंतर्गत क्वालिफायड वित्तीय निवेशकों (क्यूएफआई) को भारतीय इक्विटी बाजार में प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जाएगी। ऐसा पहली बार हुआ है जब संस्थागत निवेशकों और विदेशी वेंचर कैपिटल फर्मों के अलावा व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय पूंजी बाजारों तक सीधी पहुंच बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को भी उदार बना दिया गया है और मल्टी-ब्रांड रिटेल को एफडीआई के लिए खोलने के फैसले पर आम सहमति बनाने की कोशिश जारी है।
वित्त मंत्री श्री मुखर्जी ने कहा कि आर्थिक विकास दो समानान्तर उद्देश्यों पर केन्द्रित होना चाहिए। एक ओर ग्रामीण भारत में ग्रामों का विकास, कृषि़ व कृषि आधारित उद्योगों और बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा तो दूसरी ओर ग्रामीण लोगों को सशक्त बनाने के साथ-साथ उनकी बढ़ती हुई आकांशाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें नवीन अवसर और रोजगार प्रदान करने की जरूरत है। इसके लिए कौशल विकास के माध्यम से श्रमिकों का भी सशक्तिकरण जरूरी है।