झटका जोर का, लगा मगर धीरे से

अमेरिका का डाउनग्रेड होना चाहिए था या नहीं, यह अब बहस का नहीं, इतिहास का मसला बन चुका है क्योंकि एस एंड पी उसकी संप्रभु रेटिंग को डाउनग्रेड कर एएए से एए+ पर ला चुकी है। हो सकता है कि एएए रेटिंग वाले दूसरे देशों को भी बहुत जल्द ही डाउनग्रेड कर दिया जाए। लेकिन क्या इस तरह के डाउनग्रेड से सब कुछ खत्म हो जाता है? ऐसा कतई नहीं है। दुनिया और बाजार चलते रहे हैं, चलते रहेंगे।

इस समय तकरीबन सारे बड़े फंड इंतजार कर रहे हैं कि कब निफ्टी 5000 से नीचे जाए और वे भारी खरीद में उतर जाएं। आज भी वे यही देखते रहे कि पहल कौन करता है। आम तौर पर मंदड़िए ही सबसे पहले शुरू होते हैं। फंड कभी भी सबसे पहले बाजार में उतरने की हिम्मत नहीं करते। इसीलिए बाजार में नई तलहटी भी आसानी से बन जाती है। इसलिए पहल तो मंदड़ियों की तरफ से ही होनी है।

अगर तीन-चार दिन तक बराबर कोशिश के बावजूद मंदड़िए बाजार को तोड़कर एक निश्चित स्तर से नीचे नहीं ले जा सके तो वे ऐसा कर ही डालेंगे। यहीं पर तेजड़ियों की भूमिका शुरू होती है क्योंकि फंडों की आक्रामक बिकवाली को सोखने के साथ-साथ एक खास स्तर पर वे मंदड़ियों के हमले भी झेलते हैं। इस वक्त ठीक यही चल रहा है।

तमाम विशेषज्ञ धुआंधार तर्क दे रहे थे कि निफ्टी में वांछित स्तर 4850 का है। लेकिन वही विशेषज्ञ अब निफ्टी में 5050 के स्तर पर बाजार में घुस पाने की हालत में नहीं है। अरे भई क्यों? यह तो आपके बताए स्तर से मात्र 4 फीसदी ऊपर है? अगर आप बड़े पैमाने पर खरीदना चाहते हैं तो इतना प्रीमियम देना कोई मुश्किल नहीं होना चाहिए!! निचला स्तर तो यूं चुटकी बजाकर आता और चला जाता है। हमारे चार्टवाले यही देखकर मस्त रहते हैं कि चलो, उनकी बात कुछ समय के लिए ही सही, सही हो तो गई।

खैर, बड़े सुकून की बात है कि हर तरफ मचे हल्ले के बावजूद भारतीय बाजार ज्यादा नहीं गिरा। सुबह जरूर घबराबट भरे माहौल में 3.16 फीसदी की गिरावट आ गई थी। लेकिन कारोबारी की समाप्ति पर यह गिरावट 1.8 फीसदी तक सिमट गई। बाजार में सबसे बड़ी खरीदार आज एलआईसी रही क्योंकि सरकार किसी भी हालत में उसे जमकर खरीदने को कह रखा था। लेकिन निफ्टी के 5000 से नीचे जाने के बाद गिरावट को संभालना मुश्किल होगा क्योंकि एलआईसी कितना भी जोर लगा ले, वह एफआईआई की बिकवाली की रफ्तार का मुकाबला नहीं कर सकती। अच्छी बात यह है कि गोल्डमैन सैक्श ने अब भारत को अपग्रेड कर दिया है। दूसरे तमाम विदेशी फंड भी अब उसके नक्श-ए-कदम पर चल सकते हैं।

थोड़े में कहूं तो बाजार 5000 के आसपास टिकने के बाद ज्यादा से ज्यादा दो महीने में वापस 5500 पर पहुंच जाएगा। अगर कुछ और बुरी खबरें आती हैं तो यह 4800 तक भी जा सकता है, लेकिन उससे नीचे नहीं। वैसे, आज इतनी पस्त हालत के बावजूद निफ्टी ने जिस तरह खुद को निफ्टी 5050 के ऊपर टिकाए रखा और 5123.25 पर बंद हुआ है, उसमें मुझे अब तो 4800 तक जाने की भी कोई गुंजाइश नहीं दिखती।

इस तरह सच कहें तो बाजार ने आज सभी कैश-संपन्न निवेशकों को धन लगाने का अच्छा मौका दे दिया है। अब यह उन पर निर्भर करता है कि वे इस मौके को भुनाते हैं या माहौल के साथ बहते हुए बाजार के 5500 के ऊपर पहुंच जाने पर एंट्री मारते हैं। निफ्टी के 7000 तक पहुंचने की राह खुल चुकी है और जो लोग इस अफरातफरी भरे माहौल में उतरकर खरीद करेंगे, वे ही कल मोती पाने के हकदार बनेंगे।

एसीसी, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, इंडिया सीमेंट, अल्ट्राटेक, एसबीआई, आईडीबीआई, टाटा पावर, हिंडाल्को, कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स, विमप्लास्ट, ओरिएंट कार्बन, फिलाटेक्स, असाही सांगवॉन, क्लैरिएंट केमिकल्स, बीएएसएफ, सनफ्लैग आइरन, इस्पात इंडस्ट्रीज और डीसीएम स्तरीय स्टॉक्स हैं। इन्हें खरीदना या न खरीदना पूरी तरह आप पर निर्भर करता है।

जीवन का सुख एकरसता में नहीं, भिन्नता में है। बेहद सुकोमल प्यार भी लगातार मिलता रहे तो वो सूखा लगने लगता है। उसकी सही अनभूति के लिए थोड़ा अंतराल जरूरी हो जाता है।

 (चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

1 Comment

  1. negative assessment of United States debt by S&P may lead China to stop buying U.S. government bonds and possibly to even start selling them. If China went this route, it would help to raise the value of the yuan against the dollar, which is exactly the policy that Treasury Secretary Timothy Geithner claims he is urging on China. In this sense, the negative report from S&P may be great news for the Obama administration and its efforts to increase U.S. exports.

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