आईआईएम लखनऊ के छात्रों ने निफ्टी को पीटा

निवेश एक कला है और विज्ञान भी। कला अनुशासन से निखरती है और विज्ञान अध्ययन से आता है। इसे साबित कर दिखाया है आईआईएम लखनऊ के छात्रों ने। 2009-11 के बैच के छात्रों के स्वैच्छिक सहयोग से बनाए गए फंड क्रेडेंस कैपिटल ने इक्विटी शेयरों में निवेश पर 17.96 फीसदी और डेरिवेटिव सौदों पर 25.84 फीसदी रिटर्न हासिल किया है, जबकि इसी दौरान निफ्टी में 5.56 फीसदी की ही बढ़त दर्ज की गई। निवेश की अवधि जुलाई 2009 से जनवरी 2011 तक थी। निफ्टी को मात देने के पीछे का सबसे खास रहस्य यह रहा है कि उन्होंने माकूल वक्त पर निवेश किया और जनवरी 2011 में सही वक्त पर बेचकर निकल गए।

इस बैच के छात्रों ने जुलाई 2009 में कम से कम 5000 रुपए और ज्यादा से ज्यादा 50,000 रुपए जमाकर एक सामूहिक कोष बना लिया। फिर उसके निवेश का पूरा व्यवस्थित व वैज्ञानिक तरीका अपनाया गया। बता दें कि इस काम में आईआईएम के प्रोफेसर विपुल और मनोज आनंद ने उनका निर्देशन जरूर किया, लेकिन पूरी पहल शुद्ध रूप से छात्रों की है और संस्थान का इससे कोई सीधा लेना-देना नहीं है। कोष के प्रबंधन का काम चुने गए फंड मैनेजर देखते हैं, लेकिन निवेश रणनीति में हर छात्र शिरकत करता है। फंडामेंटल के साथ-साथ टेक्निकल एनालिसिस का सहारा भी लिया जाता है। लेकिन हमेशा 5 से 10 फीसदी स्टॉप लॉस लगाकर।

छात्रों ने फंड मैनेजरों के चयन की व्यवस्थित प्रक्रिया अपना रखी है। निवेश के फैसलों के अनुमोदन के लिए एक कमिटी बनी हुई है। छात्रों को हर बीते हफ्ते की बाजार व कॉरपोरेट जगत की हलचलों और अगले हफ्ते की अपेक्षाओं से परिचित कराया जाता है। क्रेडेंस कैपिटल का फंड मैनेजर बनने के लिए पहले छात्र को अपनी निवेश क्षमता व्यवहार में साबित करके दिखानी पड़ती है। उन्हें निवेश के हर फैसले के पीछे का सिद्धांत स्पष्ट करना होता है। यानी, यहां धुप्पल से नहीं, बल्कि विज्ञान से काम लिया जाता है। बाकी छात्र भी पूरा सहयोग करते हैं। लेकिन यहां अहम् या ईगो नहीं, बल्कि सही परख और ज्ञान चलता है।

क्रेडेंस कैपिटल का सिलसिला आईआईएम लखनऊ में 2007 से शुरू हुआ है। इस तरह अभी उसका चौथा साल चल रहा है। इन चार सालों में उसने रिटर्न के मामले में हमेशा बाजार सूचकांकों को मात दी है। यह फंड और इससे जुड़े लोग वित्तीय उद्योग में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इस साल फंड की तरफ से आईआईएम के छात्रों के लिए करेंसी फ्यूचर्स में भी ट्रेडिंग की सुविधा पेश की गई है। क्रेडेंस के फंड मैनेजरों का कहना है कि हमारा फंड निफ्टी से कम रिस्की है, लेकिन उसने निफ्टी से ज्यादा रिटर्न दिया है।

क्रेडेंस की इस सफलता का राज़ है कि वह पूरे नियम कायदे व अनुशासनबद्ध तरीके से चलता है और अपने निवेशकों (छात्रों) को बराबर हर विकासक्रम से परिचित कराता रहता है। बाकायदा न्यूजलेटर के जरिए पिछले हफ्ते की बातें और अगले हफ्ते की अपेक्षाएं छात्रों को बताई जाती हैं। न्यूजलेटर में एफ एंड ओ के आंकड़े व विश्लेषण भी रहते हैं। बाकायदा फंड का एनएवी निकालकर हर निवेशक को बताया जाता है कि उसके निवेश का मूल्य अभी कितना है। सारा कुछ ऑनलाइन है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पहल से छात्रों को दूसरों के पैसे जिम्मेदारी के साथ निवेश करने का संस्कार सिखाया जाता है। उनका मुख्य ध्येय मुनाफे को अधिकतम करने के बजाय इस पर रहता है कि जोखिम को कैसे संभाला जाए और पूंजी को कैसे सुरक्षित रखा जाए।

इस संस्कार की बदौलत आईआईएम लखनऊ के सीनियर छात्रों को इनवेस्टमेंट बैंकिंग के क्षेत्र में अच्छी जगह मिलती जा रही है। वैभव गुप्ता गोल्डमैन सैक्श की इक्विटी रिसर्च में जा रहे हैं, जबकि अन्य सीनियर छात्र राहुल पांधी सिटी ग्रुप से जुड़ने जा रहे हैं। इसी तरह कोई जेपी मॉरगन में जा रहा है तो कोई आईसीआईसीआई बैंक व एचडीएफसी में जा रहा है। इनमें से कई छात्र है जो आईआईटी के ग्रेजुएट भी हैं।

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