बाजार बहुत मजबूत धरातल पर खड़ा है क्योंकि मुद्रास्फीति में कमी के आसार बढ़ गए हैं। साथ ही यह भी स्थिति बन रही है कि रिजर्व बैंक अब ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला रोक देगा। पहली तिमाही के खराब नतीजों के असर को बाजार मौजूदा भावों में सोख चुका है। इसलिए निफ्टी के 4700 तक गिर जाने की अतिवादी आशंका पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ऐसा उसी हालत में हो सकता है, जब अण्णा, बाबा, 2जी और राष्ट्रमंडल खेलों के घोटालों की आंच से मनमोहन सरकार गिर जाए, जिसके होने की कोई सूरत दूर-दूर तक नहीं नजर आती।
ब्लूमबर्ग ने टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित रिपोर्ट चला दी कि निफ्टी 4700 तक गिर सकता है। उसके बाद बाजार के पंटरों ने पिछले तीन दिनों में तीसरी बार निफ्टी पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि निफ्टी ऊपर में 5500 का स्तर तोड़कर आगे बढ़ चुका है तो वह नीचे में 5480 तक नहीं जा सकता। यहीं पर पेंच है। राहत की रैली लांग सौदों को काटने का मौका नही देती तो शॉर्ट होने पर आप फंस भी जाते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि आज भले ही बाजार नीचे में 5502 तक चला गया हो, लेकिन कल यह 5650 से 5700 तक जाकर बंद हो सकता जो हफ्ते का सर्वोच्च स्तर होगा।
हम बराबर ऐसे स्टॉक्स चुनने की कोशिश करते हैं जो बाजार को मात दे सकें। हमने केन्नामेटल में खरीदने की सलाह दी जो 610 से 744 रुपए पर पहुंच चुका है। अब हम आपको रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) खरीदने की सलाह दे रहे हैं। हमारा मानना है कि हिताची जापान इस कंपनी में 9 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। हालांकि हो सकता है कि इस सौदे की आधिकारिक पुष्टि कोई न करे।
कैश बाजार में कुछ हद तक जान लौटने लगी है जो इस बात का साफ संकेत है कि अब बाजार को बढ़ना चाहिए। जैसा कि मीडिया के कुछ हिस्सों में खबरें आने लगी हैं कि तमाम ब्रोकिंग हाउस वोल्यूम पाने और लागत घटाने के चक्कर में छंटनी करने लगे हैं। मैं पहले ही बता चुका हूं कि कुछ बोकिंग हाउसों ने 450 से ज्यादा शाखाएं बंद कर दी हैं। एक तो ब्रोकरों की हालत पहले से ही खराब है, ऊपर से अल्गोरिथम ट्रेडिंग रही-सही कसर भी निकाल देगी। कुछ संस्थागत ब्रोकरों में भी बंदी की सुगबुगाहट है।
बाजार में वोल्यूम दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। रिटेल निवेशकों की भागीदारी न के बराबर हो चुकी है। जाहिर है कि अब खोने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है। निवेशक भी इस सच्चाई को भलीभांति समझते हैं। फिर भी सच तो यही है कि ये निवेशक भी बाजार में तब आएंगे जब सेंसेक्स 21,000 के पार चला जाएगा। ऐसी सूरत में बाजार फिलहाल ‘नो मैन्स लैंड’ बन गया है। इस किनारे से उस किनारे तक सन्नाटा खिंचा हुआ नजर आता है।
इस दौरान हमारी यही सलाह है कि खबरों पर आधारित ट्रेडिंग व निवेश करते रहें। लेकिन सूचना के सार्वजनिक होते ही बेचकर मुनाफा कमा लें और इस तरह थोड़ी-थोड़ी कमाई करते रहें।
नया लक्ष्य साधने या नए सपने देखने में उम्र कभी आड़े नहीं आती। जब जगे, तभी सुबह, तभी शुरुआत।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)