हीरो मोटोकॉर्प: होड़ में कब तक हीरो!

हीरो मोटोकॉर्प का शेयर खट-खटाखट बढ़ रहा है। 18 अक्टूबर को सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो 1984.85 रुपए पर बंद हुआ था। अभी दिवाली के दिन 26 अक्टूबर को मुहूर्त ट्रेडिंग में उसका बंद भाव 2105.65 रुपए रहा है। इस तरह छह कारोबारी सत्रों में वह छह फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। क्या बनता है इस स्टॉक में लाभ का योग? आइए समझने की कोशिश करते हैं।

हीरो मोटोकॉर्प, देश की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी। 25 सालों तक चला जापानी कंपनी होंडा का साथ दस महीने पहले दिसंबर 2010 में टूट गया। होंडा ने हीरो होंडा में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी हीरो समूह के मालिक मुंजाल परिवार को वापस बेच दी और कंपनी ने अब नया नाम व नई पहचान अपना ली है। पहले खुद को देश की धड़कन बताती थी, अब कहती है हम में है हीरो। नए नाम के साथ पहले वित्तीय नतीजे उसकी सितंबर 2011 तिमाही के रहे हैं।

इस दौरान उसकी बिक्री 28 फीसदी बढ़कर 5829.32 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 19.38 फीसदी बढ़कर 603.62 करोड़ रुपए हो गया। बाजार 5800 करोड़ की बिक्री पर 580 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की उम्मीद कर रहा था। उम्मीद से बेहतर नतीजे तो शेयर बढ़ने लग गया। दिवाली के दिन इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 400182) में 2105.65 रुपए और एनएसई (कोड – HEROMOTOCO) में 2107.65 रुपए पर बंद हुआ है।

पिछले ही महीने 9 सितंबर को इसने 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 2237 रुपए पर हासिल किया है। फिलहाल वहां के ज्यादा करीब है। दूसरी तरफ इसी साल 23 फरवरी 2011 को हासिल 1375.75 रुपए के न्यूनतम स्तर से 53.20 फीसदी ऊपर है। जानकारों का कहना है कि अभी के मुकाम पर इसमें बढ़ने की गुंजाइश कम और गिरने की आशंका ज्यादा है। हां, अगर यह गिरकर 1800 रुपए तक आ जाए तो इसे खरीदने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन बढ़ने की संभावना फिर भी ज्यादा नहीं है तो 1600 रुपए का स्टॉप लॉस लगाकर चलना चाहिए। फिलहाल इसे बेचकर निकल लेना चाहिए।

असल में हीरो मोटकॉर्प भले ही गांवों-गांवों तक पहुंचा नाम हो, माइलेज, मजबूती व मेंटेनेंस में यह औरों पर बीस पड़ती हो, लेकिन इस उद्योग में होड़ तेजी से बढ़ रही है। एक तो खुद जापानी कंपनी होंडा अपनी भारतीय सब्डियरी के जरिए इससे सस्ती मोटरसाइकिल बेचकर इसको परेशान कर रही है और आगे और ज्यादा करेगी। दूसरे, बजाज ऑटो इसे तगड़ी टक्कर दे रही है। सितंबर 2011 की तिमाही में हीरो मोटोकॉर्प ने 15.4 लाख मोटरसाइकिलें बेचीं तो बजाज ने 11.6 लाख। इस दौरान टीवीएस ने पहली बार 6 लाख का आंकड़ा पार किया है। तीसरे, कंपनी को साल 2014 तक होंडा को रॉयल्टी देते रहना होगा और वो भी जापानी मुद्रा येन में। इसलिए येन की विनिमय दरों का उतार-चढ़ाव इस पर अतिरिक्त असर डालेगा।

हालांकि कंपनी का लाभ मार्जिन बराबर बढ़ रहा है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 14.46 फीसदी था। चालू वित्त वर्ष 2011 की पहली तिमाही में यह बढ़कर 15.94 फीसदी और दूसरी तिमाही में 17.13 फीसदी हो गया। लेकिन इसकी खास वजह कच्चे माल की कीमतों में गिरावट और मार्च 2011 के बाद से एकाउंटिंग के तरीको में भिन्नता है। पहले रॉयल्टी को खर्च के रूप में दिखाया जाता था। अब इसे लाइसेंस फीस के बतौर दिखाया जाता है और एमॉरटाइज किया जाता है।

कंपनी इस साल 100 करोड़ रुपए अपनी री-ब्रांडिग पर खर्च करेगी। उसके ऊपर से वह अपनी आय का 2.1 से 2.4 फीसदी हिस्सा विज्ञापन पर खर्च करेगी। यह कोई कयास नहीं, बल्कि खुद कंपनी के प्रबंध निदेशक व सीईओ पवन मुंजाल का कहना है। इधर त्योहारी सीजन में हो सकता है कि कंपनी ज्यादा मोटरसाइकिलें बेंच लें। लेकिन दिसंबर तिमाही में उसकी वृद्धि दर घटने का अनुमान है। वैसे, कंपनी इधर क्षमता विस्तार में जुट गई है।

अभी तक हीरो मोटोकॉर्प के तीन संयंत्र हरियाणा के दारुहेड़ा व गुड़गांव और उत्तराखंड के हरिद्वार में हैं। वह गुड़गांव व हरिद्वार के संयंत्रों के विस्तार पर 250 करोड़ रुपए खर्च करेगी। साथ ही गुजरात में 500 करोड़ रुपए की लागत से नया संयंत्र लगा रही है। इस तरह बढ़ती होड़ और अनुमानित मांग से पार पाने की कोशिश में लगी है। लेकिन इस समय ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) के ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) के 108.14 रुपए होने के आधार पर उसका शेयर 19.47 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसे यकीनन ज्यादा माना जाएगा क्योंकि बजाज ऑटो 17.15 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है।

प्रवर्तकों ने निश्चित रूप से अभी तक शेयरधारकों का फायदा कराया है। 2008 में उसका शेयर तीन गुना (700 रुपए से 2100 रुपए) हो गया है। लेकिन प्रवर्तक अपना फायदा खींचने का मौका नहीं चूकते। पिछले साल कंपनी ने दो रुपए के शेयर पर 105 रुपए (5250 फीसदी) लाभांश दिया तो इसकी बड़ी वजह यह थी कि उसका 52.21 फीसदी (26 फीसदी होंडा, 26.21 फीसदी मुंजाल परिवार) हिस्सा खुद उन्हें मिला और करीब 34 फीसदी हिस्सा एफआईआई को गया।

अभी की स्थिति यह है कि कंपनी की 39.94 करोड़ रुपए की इक्विटी का 52.21 फीसदी हिस्सा मुंजाल परिवार, 34.80 फीसदी एफआईआई और 4.23 फीसदी हिस्सा डीआईआई के पास है। बाकी 8.76 फीसदी हिस्सा ही आम लोगों के पास है। उसके कुल शेयरधारकों की संख्या 67,749 है। इसमें से 64,456 (95.14 फीसदी) छोटे निवेशक हैं और उनके पास कंपनी के कुल 6.31 फीसदी शेयर ही हैं। इस तरह सही मायनों में हीरो मोटोकॉर्प भले ही हर हिदुस्तानी में हीरो होने का नारा लगाए, लेकिन यह महज ब्रांडिंग का नुस्खा है और असली मकसद खुद को हीरो बनाकर प्रवर्तकों के लाभ-अंश को कई गुना करते जाना है।

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