सोने की मांग 94% बढ़ी तो निवेश में हुई 264% की जबरदस्त वृद्धि

इस साल जून तक के छह महीनों में देश में सोने की मांग 365 टन रही है जो पिछले साल की पहली छमाही की मांग 188.4 टन से 94 फीसदी अधिक है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू साल 2010 की पहली छमाही में भारत में सोने के निवेश में 264 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि हुई है। साल 2009 में जून तक सोने में किया गया निवेश 25.4 टन था, जो इस साल जून तक 92.5 टन रहा है।

भारत में सोने की मांग बड़ा हिस्सा अभी आभूषणों के रूप में जाता है। लेकिन धीरे-धीरे लोग सोने में निवेश के लिए भी पैसा लगा रहे हैं। यह निवेश मुख्य रूप से सोने के सिक्कों या गोल्ड ईटीएफ के रूप में हो रहा है। इसी साल मार्च में नेशनल स्पॉट एक्सचेंज ने सोने में निवेश का नया माध्यम ई-गोल्ड के रूप में पेश किया है जिसमें शेयर की तरह सोना डीमैट रूप में खरीदा और रखा जा सकता है। जून 2009 तक के छह महीनों में भारत में जेवरात के रूप में लोगों ने 163 टन सोना खरीदा था, जबकि इस साल जून 2010 तक 272.5 टन सोने के जेवरात खरीदे गए हैं।

इससे एक बात और साफ होती है कि पिछले साल देश में सोने की कुल मांग का 13.5 फीसदी हिस्सा निवेश किया गया था, वही इस साल यह हिस्सा बढ़कर 25.3 फीसदी हो गया है। अगर मूल्य के लिहाज से देखें तो इस दौरान सोने में निवेश 3700 करोड़ रुपए से करीब 300 फीसदी बढ़कर 14,800 करोड़ रुपए हो गया है। इस दौरान सोने की कुल मांग मूल्य के लिहाज से 27,300 करोड़ रुपए से 122 फीसदी बढ़कर 60,500 करोड़ रुपए हो गई है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल में मध्य-पूर्व व भारत के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा का कहना है कि 2010 में आज की तारीख तक साफ संकेत मिल गए हैं कि सोने की मांग में विविधता आ रही है। पिछले सालों की तुलना में भारतीय स्वर्ण बाजार काफी सुधरा है और इस प्रक्रिया ने सुनिश्चित किया है कि इसका मूल आकर्षण कायम रहेगा। उनका कहना है कि इस साल धनतेरस, दीपावली और ओणम जैसे महत्वपूर्ण त्योहार अभी बाकी हैं। इसलिए अनुमान यही है कि इस पूरे साल में सोने की मांग जबरदस्त रहेगी।

काउंसिल का मानना है कि दुनिया में सोने की मांग को मुख्य आवेग भारत और चीन से मिलेगा। भारत अभी तक दुनिया में सोने का सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन चीन भी इस दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैसे यूरोप वगैरह में लोग सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं जिसकी खास वजह है आर्थिक परिदृश्य में छाई अनिश्चितता। जब अर्थव्यवस्था का भरोसा न हो, मुद्रा का भरोसा न हो, रोजगार का भरोसा न हो, तब ऐतिहासिक रूप से सोने में लोगों का निवेश बढ़ जाता है।

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