सोने की बदौलत रिजर्व बैंक ने काटी जमकर चांदी

पिछले साल अक्टूबर में भारतीय रिजर्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से जो 200 टन सोना खरीदा था, वह उसके लिए बहुत फायदे का सौदा साबित हुआ है। आईएमएफ से खरीदते वक्त सोने का भाव 1045 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस (31.1034768 ग्राम) था, जबकि इस 9 जुलाई को यह 1212 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस रहा है। इसलिए केवल सोने की बदौलत 9 जुलाई तक के सबसे ताजा आंकड़ों के मुताबिक रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में साल भर पहले की तुलना में 10.094 अरब डॉलर का इजाफा हो गया है। रिजर्व बैंक अपने सोने का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से आंकता है।

रिजर्व बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियों (विदेशी बांडों में निवेश), सोने, एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) और आईएमएफ के पास रखे रिजर्व को शामिल करता है। इस समय यह विदेशी मुद्रा भंडार 279.422 अरब डॉलर का है, जिसमें से विदेशी मुद्रा आस्तियां 253.268 अरब डॉलर, सोना 19.894 अरब डॉलर, एसडीआर 4.932 अरब डॉलर और आईएमएफ के पास रिजर्व 1.328 अरब डॉलर का है। विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले एक साल में 15.505 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है, जिसमें से 10.094 अरब डॉलर (65.1 फीसदी) की वृद्धि अकेले सोने के चलते हुई है।

आईएमएफ से सोना खरीदने के बाद रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार लगभग 555 टन का हो गया है। यह मूल्य के आधार पर देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 7 फीसदी है, जबकि साल भर पहले इसकी हिस्सेदारी लगभग 3.5 फीसदी ही थी। रिजर्व बैंक ने जब आईएमएफ से 200 टन सोना खरीदा था, तब कुछ विशेषज्ञों ने उसकी आलोचना की थी और संदेह जताया था कि सोने का भाव आगे तेजी से गिर सकता है जिसका उसे नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन सोने के भाव में करीब 16 फीसदी की वृद्धि ने इन आलोचनाओं को धता बता दी है। इस समय भी माना जा रहा है कि सोने के भाव साल-छह महीने तक बढ़ते ही रहेंगे। जाहिर है इसका फायदा रिजर्व बैंक को मिलेगा।

अगर हम भारतीय रुपए में स्वर्ण भंडार का मूल्य आंकें तो फायदा और भी ज्यादा नजर आता है। साल भर में रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार में 45,790 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है, जबकि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि 21,786 करोड़ रुपए की है। इस दौरान रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा आस्तियों में 47,211 करोड़ रुपए की कमी आई है। इस लिहाज से देखें तो सोने ने रिजर्व बैंक के लिए तारणहार का काम किया है क्योंकि विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई कमी को उसने अपनी बढ़त से लगभग बराबर कर दिया है।

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