फोसेको: विदेशी कंपनी, छोटा पैक

शेयर बाजार हमेशा कल की सोचकर चलता है। किसी भी स्टॉक के आज के भावों में कल की संभावना निहित होती है। लेकिन कल तो बड़ा अनिश्चित है। उसके बारे में कुछ भी कहना सही निकले, यह कतई जरूरी नहीं। ऐसे में हम जैसे आम निवेशकों के लिए सही यही लगता है कि कल की छोड़कर वर्तमान में जीना सीखें। कंपनी का कल क्या होगा, यह बाद में देखा जाएगा। निवेश करते वक्त यह देख लेना जरूरी है कि उसका वर्तमान कितना पुख्ता है। नहीं तो कल की कयासबाजी में कभी-कभी बेड़ा गरक हो जाता है।

किसी के कहने और इसी तरह की कयासबाजी में हमने साल भर पहले यहीं पर जेट एयरवेज के बारे में लिखा था कि इसका शेयर 850 रुपए के ऊपर जा सकता है। तब उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 762.85 रुपए पर बंद हुआ था। उसके चार दिन बाद 7 जनवरी 2011 को वो 782.20 रुपए तक बढ़ गया। लेकिन उसके बाद गिरते-गिरते कल, 2 जनवरी 2012 को दस रुपए का वही शेयर 172.85 रुपए पर बंद हुआ है। साल भर में 77 फीसदी से ज्यादा की गिरावट। आखिर कौन-सा निवेशक इतनी तगड़ी चपत सह सकता है? हालांकि जो इसमें घुस चुके हैं, उन्हें बने रहना चाहिए क्योंकि यह कंपनी कुछ सालों में उनका मूलधन बढ़ाने का माद्दा रखती है।

ऐसी ही गलतियों से हमने सबक लिया है कि किसी के कहने पर नहीं चलेंगे। खुद जो समझ में आएगा, घोषित सूचनाओं के आधार पर, उन्हीं कंपनियों में आपको निवेश करने को कहेंगे। आप से भी गुजारिश है कि मेरे या किसी के कहने पर मत जाइए और खुद के विवेक व अध्ययन के आधार पर फैसले लीजिए। आज की कंपनी है फोसेको इंडिया। यह ब्रिटेन की 75 साल से ज्यादा पुरानी बहुराष्ट्रीय कंपनी की भारतीय शाखा है। मूल कंपनी दुनिया के 32 देशों में सक्रिय है और उसके शेयर लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं। भारतीय शाखा की इक्विटी मात्र 6.39 करोड़ रुपए और बाजार पूंजीकरण 345 करोड़ रुपए है। इस लिहाज से इसे स्मॉल कैप कंपनी ही माना जाएगा।

कंपनी की इक्विटी में पूरी 75 फीसदी हिस्सेदारी मूल विदेशी कंपनी व उससे जुड़े कुछ लोगों के पास है। बाकी 25 फीसदी में से 11.48 फीसदी शेयर किसी करीबू लिमिटेड नाम की कंपनी के पास हैं। करीबू अफ्रीका की स्वाहिली भाषा का शब्द है और इसका अर्थ होता है स्वागत। करीबू ने पब्लिक की श्रेणी में फोसेको इंडिया के इतने शेयर ले रखे हैं। वैसे है यह ब्रिटेन की कंपनी। फोसेको इंडिया में एफआईआई का कोई निवेश नहीं है, जबकि डीआईआई का निवेश मात्र 0.02 फीसदी है, केवल 1400 शेयर। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 5833 है जिसमें से 5561 या 95.34 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं।

कंपनी बराबर लाभांश देती है। हालांकि उसका 75 फीसदी हिस्सा तो मूल विदेशी कंपनी को ही मिल जाता है। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 के लिए उसने दस रुपए अंकित मूल्य पर 17 रुपए यानी 170 फीसदी का लाभांश दिया है। इस साल 7 मई 2011 से लेकर 4 नवंबर 2011 तक वह प्रति शेयर 11 रुपए (110 फीसदी) का लाभांश घोषित कर चुकी है। इसका शेयर कल बीएसई (कोड – 500150) में 541.80 रुपए और एनएसई (कोड – FOSECOIND) में 541 रुपए पर बंद हुआ है। इस शेयर के साथ एकमात्र दिक्कत यह है कि इसमें सौदे काफी कम होते हैं। जैसे, कल बीएसई में इसके कुल 144 शेयरों और एनएसई में 134 शेयरों की खरीद-बिक्री हुई।

अन्यथा कंपनी एकदम दुरुस्त है। पिछले तीन सालों का औसत देखें तो उसका धंधा ठीक नहीं चल रहा था। लेकिन पिछले एक साल में उसकी बिक्री 48.36 फीसदी और शुद्ध लाभ 53.65 फीसदी बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2011 की तिमाही में उसकी बिक्री 19.07 फीसदी बढ़कर 60.12 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 40.93 फीसदी बढ़कर 7.30 करोड़ रुपए हो गया है। पिछले पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 188.05 करोड़ रुपए की बिक्री पर 19.30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 37.54 रुपए है और उसका शेयर फिलहाल 14.43 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।

यह शेयर 14 जून 2011 को 624 रुपए का शिखर पकड़ चुका है, जबकि 52 हफ्ते का इसका न्यूनतम स्तर 403 रुपए का है जो इसने 11 फरवरी 2011 को हासिल किया था। पिछले दो सालों में यह अधिकतम 26.75 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। इसलिए जानकार मानते हैं कि थोड़ा-सा और नीचे 500 रुपए के आसपास आ जाने पर इसमें निवेश का अच्छा योग बनता है। 500 पर लिया तो बाजार की हालत सुधरने पर यह आराम से 600 रुपए तक जा सकता है।

कंपनी का संयंत्र पुणे में है। वह स्टील संयंत्रों व फाउंड्री में इस्तेमाल होनेवाले 400 से ज्यादा उत्पाद बनाती है। इन्हें देश में बेचने के अलावा मध्य-पूर्व, श्रीलंका, नेपाल, केन्या, घाना, बांग्लादेश, सिंगापुर व ताईवान को निर्यात करती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाउंड्रीमेन का अनुमान है कि देश में फाउंड्री उद्योग का सालाना उत्पादन 2008 के 68.4 लाख टन से 60 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 2014 तक लगभग 110 लाख टन हो जाएगा। इसलिए फोसेको इंडिया में भी बढ़ने की पूरी संभावना नजर आती है।

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