किसान बेदाम, खाद्य मुद्रास्फीति छः सालों में पहली बार शून्य से नीचे

इस समय जो-जो चीजें किसानों के पास बहुतायत में हैं, उन सभी की कीमत में भारी गिरावट के कारण खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे पहुंच गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 24 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्यों पर आधारिक खाद्य मुद्रास्फीति की दर (-) 3.36 फीसदी रही है। लेकिन किसानों के पास जो चीजें नहीं हैं, मसलन दूध, फल, दाल व मांस-मछली व अंडे, उन सभी के दाम बढ़ गए हैं।

खाद्य मुद्रास्फीति के आकलन का आधार वर्ष 2004-05 है और तब से उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से पिछले छह साल में पहली बार खाद्य मुद्रास्फीति में सालाना स्तर पर वृद्धि के बजाय गिरावट दर्ज की गई है। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले सप्ताह 0.42 फीसदी थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 20.84 फीसदी थी।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इन आंकड़ों से प्रफुल्लित हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह उल्लेखनीय सुधार है। खाद्य मुद्रास्फीति हाल के दिनों में पहली बार शून्य से नीचे गई है।’’ ताजा आंकड़ों के मुताबिक 24 दिसंबर 2011 को खत्म सप्ताह में प्याज साल भर पहले की तुलना में 73.74 फीसदी और आलू 34.01 फीसदी सस्ता हुआ है। किसानों के सामने पिछले दिनों प्याज व आलू को सड़क पर फेंकने की नौबत आ चुकी है। गेहूं की कीमत भी इस दौरान 3.41 फीसदी गिरी है। कुल मिलाकर सब्जियां 24 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 50.22 फीसदी सस्ती हुई हैं।

गौरतलब है कि नवंबर के पहले सप्ताह से खाद्य कीमतों की मंहगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट हुई। इससे पहले यह दहाई अंक में चल रही थी। विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती के विकल्प पर सोचने में मदद करेगी। यह समीक्षा इसी महीने 24 तारीख को होनी है।

समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अन्य खाद्य उत्पाद सालाना स्तर पर और महंगे हुए। दाल और मांस-मछली व अंडे जैसे प्रोटीनयुक्त उत्पाद महंगे हुए। दालें इस दौरान 13.85 फीसदी मंहगी हुईं जबकि दूध 9.49 फीसदी मंहगा हुआ। अंडे, मांस और मछली की कीमत सालाना आधार पर 13.82 फीसदी बढ़ी। फल भी सालाना स्तर पर 10.87 फीसदी मंहगे हुए, जबकि अनाज की कीमत 1.97 फीसदी बढ़ गई।

24 दिसंबर को खत्म हफ्ते में प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति 0.10 फीसदी बढ़ गई, जबकि पिछले सप्ताह यह 2.70 फीसदी बढ़ी थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक वस्तुओं का योगदान 20.12 फीसदी योगदान है। ईंधन और बिजली क्षेत्र की मुद्रास्फीति 14.60 फीसदी रही जो इसके पिछले सप्ताह 14.37 फीसदी थी।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक सकल मुद्रास्फीति के ही मद्देनजर मौद्रिक नीति तय करता है और इसकी दर दिसंबर 2010 से नौ फीसदी से उपर बनी हुई है। नवंबर 2011 में यह 9.11 फीसदी के स्तर पर थी। रिजर्व बैंक ने मांग पर नियंत्रण के जरिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए मार्च 2010 से ब्याज दरों में 13 बार बढ़ोतरी की है। उसका लक्ष्य मुद्रास्फीति की दर को मार्च 2012 के अंत तक सात फीसदी पर पहुंचा देने का है।

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