खाद्य मुद्रास्फीति दहाई के खतरनाक मुहाने पर

खाद्य मुद्रास्फीति एक बार दहाई के खतरनाक आंकड़े की तरफ बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 जुलाई 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर 9.90 फीसदी दर्ज की गई है। इससे पिछले सप्ताह यह 8.04 फीसदी और उससे पहले पिछले सप्ताह 7.33 फीसदी ही थी। वैसे तसल्ली की बात यह है कि साल भर पहले इसी दौरान मुदास्फीति की दर 16.45 फीसदी थी।

सप्ताह के दौरान सब्जियों की कीमत पिछले वर्ष के इसी समय की तुलना में 14.61 फीसदी, प्याज 36.62 फीसदी, आलू 10.85 फीसदी, फल 16.49 फीसदी और दूध के भाव 10.38 फीसदी तेज थे। इसी दौरान अनाज की कीमतें एक वर्ष की तुलना में औसतन 6.22 फीसदी ऊंची थीं।

महंगाई की इस ऊंची दर से रिजर्व बैंक की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। जहां अमेरिका के डाउनग्रेड और यूरोप की विकट स्थिति के चलते आर्थिक विकास को संभालने की जरूरत आ पड़ी है, वहीं मुद्रास्फीति को थामने के लिए विकास को दबाना पड़ेगा। इन दोनों ध्रुवों के बीच रिजर्व बैंक को तय करना है कि वह ब्याज दरें को और बढ़ाए या नहीं। रिजर्व बैंक पिछले डेढ़ साल से मुद्रास्फीति से निपटने के लिए नीतिगत ब्याज दरों को बढ़ाने की नीति अपनाए हुए है।

सप्ताह के दौरान ईंधन और बिजली वर्ग की मुद्रास्फीति 12.19 फीसदी रही है, जबकि इससे पिछले सप्ताह यह 12.12 फीसदी थी। आलोच्य सप्ताह में पेट्रोल के दाम एक वर्ष पूर्व की तुलना में 23.23 फीसदी और डीजल के दाम 9.32 फीसदी ऊंचे थे। एलपीजी के दामों में भी एक साल में 14.58 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।

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