प्रणव दा ने टोपी से निकाले खरगोश

साल भर पहले जब सरकार ने घोषित किया था कि वह राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 5.5 फीसदी तक सीमित रखेगी, तब उसका यह लक्ष्य और दावा बड़ा अतार्किक लग रहा था। लेकिन 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले अतिरिक्त धन की बदौलत सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 फीसदी तक लाने में कामयाब रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की यह एक बड़ी उपलब्धि है।

हालांकि आस्तियों को बेचना घाटे को पूरा करने का आदर्श तरीका नहीं हो सकता। फिर भी यह दिखाता है कि वित्त मंत्री किस कदर राजकोषीय घाटे को काबू में रखने को लेकर बेचैन और संजीदा हैं। यही नहीं, उन्होंने अगले दो-तीन सालों के लिए राजकोषीय घाटे को कम करने का रोडमैप तैयार कर लिया है। इससे एफआरबीएम (फिस्कल रेस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) एक्ट में निर्धारित 3 फीसदी का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। यह कदम बहुत उत्साहवर्धक है। दुनिया के निवेशक और पूंजी बाजार इसे निश्चित रूप से पसंद करेंगे।

वैसे, चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों से विनिवेश से जुटाई गई रकम लक्ष्य से कम रही है। लेकिन सरकार ने इस मोर्चे पर टेम्पो बनाए रखा है। नए वित्त वर्ष 2011-12 के लिए भी विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है। यह सरकारी कंपनियों के आईपीओ और एफपीओ को लेकर दिल को बाग-बाग करनेवाली खबर है। एक्साइज ड्यूटी में कोई वृद्धि न करना बड़ा ही साहसिक कदम है। यह दिखाता है कि हमारा वित्त मंत्रालय पूरी तरह आर्थिक विकास के प्रति समर्पित है।

लेकिन अगर व्यक्तिगत करदाताओं के नजरिए से देखें तो उन्हें बहुत मामूली राहत मिली है। वरिष्ठ नागरिकों को थोड़ी ज्यादा तसल्ली मिली है। 80 साल के ऊपर के बुजुर्ग अब पांच लाख रुपए की आय पर टैक्स भरने के झंझट से बच जाएंगे। इन कदमों से आम लोगों को मुद्रास्फीति से लड़ने में थोड़ा सुकून मिल जाएगा।

बजट में कृषि को गति देने के लिए काफी कुछ किया गया है। इससे पता चलता है कि सरकार अर्थव्यवस्था के तमाम क्षेत्रों का संतुलित विकास करना चाहती है। इससे सभी को विकास की प्रक्रिया और उससे फल की हिस्सेदारी में शामिल करने का मौका मिलेगा। सरकार इससे समावेशी विकास के लक्ष्य को पूरा कर पाएगी। देश में इस समय करदाताओं की कुल संख्या तीन करोड़ है जिसका मतलब हुआ है हमारी 120 करोड़ की आबादी में से महज 2.5 फीसदी लोग ही अभी इनकम टैक्स देते हैं। इस बार लगता है कि वित्त मंत्रालय ने बाकी 97.5 फीसदी आबादी को भी किसी न किसी रूप में कर के दायरे में खींच लिया है।

कुल मिलाकर आज वित्त मंत्री प्रणव दा के बजट भाषण को सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई जादूगर अपनी टोपी से खरगोश निकाल लेता है। मैं दादा को उनकी इस कामयाबी की दाद देना चाहता हूं।

जगन्नाधम तुनगुंटला (लेखक ब्रोकिंग फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के रणनीतिकार और रिसर्च प्रमुख हैं)

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