वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को कैग (नियंत्रक व महा-लेखापरीक्षक) का बचाव करते हुए कहा कि महा-लेखापरीक्षक ने विभिन्न घोटालों पर जारी अपनी रिपोर्ट में अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया।
राजधानी दिल्ली में आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में मुखर्जी ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुझे नहीं लगता कि कैग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण अथवा ऐसा कुछ किया है, क्योंकि कैग की बुनियादी जवाबदेही कमियों का पता करना है। कैग पूरी मुस्तैदी से इस काम को करता है।
कैग के बारे में मुखर्जी का यह वक्तव्य इस लिहाज में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार के विभिन्न हिस्सों की तरफ से कैग की रिपोर्ट और उसके अधिकार क्षेत्र को लेकर आलोचना की गई। कैग की 2जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर जारी रिपोर्ट पर सरकार में बैठे कई लोगों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
वित्त मंत्री ने कहा, “जहां तक कैग की भूमिका का मुद्दा है, वह एक संवैधानिक संस्था है। कैग के कामकाज के बारे में जहां तक मेरी जानकारी है, उसका काम वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाना है। सरकार द्वारा तय नियमों, कानूनों और नियमन के संदर्भ में कहां अनियमितता बरती गई इसका पता ,लगाना है।”
वित्त मंत्री ने कहा कि कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होने के साथ ही अपने आप स्वीकृत नहीं हो जाती है। संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) इसकी जांच परख करती है। वह कैग की रिपोर्ट पर अपनी रिपोर्ट देती है। उसके बाद यदि संसद इसे मंजूरी देती है, तभी इस पर आगे कार्रवाई होती है। संसद की लोकलेखा समिति की रिपोर्ट के बाद ही इसे अंतिम माना जाना चाहिए।