शुरू हो गया उनका करतब कब्जे का

निराशा का कोई अंत नहीं। मंदड़ियों को कभी यकीन ही नहीं आएगा कि तेजी का आगाज हो चुका है और अब निफ्टी के 6300 तक पहुंचने की भड़क खुल चुकी है। निफ्टी आज 5596.60 तक जाने के बाद मामली गिरावट के साथ 5567.05 पर बंद हुआ है। सेंसेक्स भी 0.30 फीसदी गिरकर 18,507.04 पर बंद हुआ है।

ट्रेडरों को हमेशा पढ़ाया क्या, चढ़ाया जाता है कि वे बाजार चलानेवाले उस्तादों और एफआईआई से भी बेहतर पारखी हैं। इसलिए वे हमेशा स्ट्रेस टेस्ट जैसी खबरों के प्रवाह में बह जाते हैं और शॉर्ट सौदे कर डालते हैं। ऑपरेटरों व एफआईआई ने बाजार को तोड़कर 5000 से नीचे ले जाने की हरचंद कोशिश कर डाली। लेकिन वे नाकाम रहे क्योंकि यह तभी हो सकता है जब वोल्यूम बहुत कम हो और जापान जैसी घटनाओं से थोड़ा उकसावा मिल जाए। जब ये अभी तक सफल नहीं हो सके तो अब यह काम इनके लिए बहुत ही मुश्किल हो गया है। खासकर इसलिए क्योंकि अब एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) और रिटेल निवेशक बाजार में वापस आने लगे हैं।

सट कहूं तो बाजार के उस्तादों और एफआईआई दोनों की गति इस समय सांप-छछूंदर जैसी हो गई है, जिसे वे न निगल पा रहे हैं और न ही उगल पा रहे हैं। बाजार को गिराने की पूरी कोशिश और सारी जोर आजमाइश कर चुकने के बाद अब उनके पास कोई विकल्प नहीं है। खासकर तब, जब सरकार सकारात्मक भंगिमा अपना चुकी है। इसलिए अब उन्होंने खुद ही अगले तीन से छह महीनों में सेंसेक्स के 22,000 पर पहुंचने का लक्ष्य पेश कर दिया है। और, मेरी राय में ऐसा होकर रहेगा।

इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। एफआईआई भारतीय बाजार को अपनी मुठ्ठी में करना चाहते थे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया। व्यावहारिक रूप से आज ज्यादातर ब्रोकरों की हालत यह है कि यह धंधा उनके लिए घाटे का सौदा बन गया है और वे इससे निजात पाना चाहते हैं। यहीं से एफआईआई का कब्जे का करतब नए सिरे से शुरू हो रहा है और वे बाजार को नई ऊंचाई पर ले जाने की जुगत में हैं।

बाजार यकीनन नई ऊंचाई पर जाएगा। दिमाग में अच्छी तरह बैठा लें कि यूरोप में संकट जितना बढ़ेगा, उभरते बाजारों, खासकर भारत में विदेशी निवेश का प्रवाह उतना ही बढ़ जाएगा। इसका कारण यह है कि एमएससीआई सूचकांक में भारत का भार चार साल पहले के 3 फीसदी से बढ़कर अब 8 फीसदी से ज्यादा हो गया है और अगले एक साल में यह बढ़कर 10 फीसदी हो जाएगा।

खैर, सब राजकाज है। विदेशी निवेश का प्रवाह ऐसे ही तमाम कारकों से निर्धारित होगा। फिलहाल मेरा नया ब्लॉकबस्टर और मल्टीबैगर डीसीएम लिमिटेड है। इस स्टॉक को खरीदकर अगले 12 महीनों के लिए भूल जाएं। फ्यूचर्स में जितना ज्यादा सेंचुरी टेक्सटाइल्स जोड़ सकें, उतना ही अच्छा है। यह बिग बुल का नया मोहरा है।

समझदारी एक ऐसा अक्षयपात्र है जो चौबीसों घंटे, सातों दिन, आठों प्रहर मेहनत करनेवालों के लिए खुला रहता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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